भारत मल्होत्रा
दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर सिर्फ भारत और ऑस्ट्रेलिया ही आमने सामने नहीं होंगी बल्कि इसके साथ ही मैदान पर कुछ व्यक्गित मुकाबले देखने को भी मिल सकते हैं। जो मुख्य मुकाबले पर अपनी छाप छोड़ते नजर आएंगे।
दिवाली की अगली सुबह। दिल्ली का फिरोजशाह कोटला मैदान। भारत और ऑस्ट्रेलिया एक बार फिर आमने-सामने। बॉर्डर-गावस्कर सीरीज के अहम मुकाबले के लिए तैयार दोनो टीमें। भारत साफ कर चुका है कि वो कोटला का किला जीतकर सीरीज का फैसला यहीं करने का इरादा रखता है। वहीं दूसरी ओर ऑस्ट्रेलियाई टीम मोहाली की हार के बाद जख्मी शेर जैसी हो गयी है। वो हर हाल में कोटला पर मोहाली का हिसाब चुकता करना चाहेगी। टीम ने इस मुकाबले के लिए कड़ी तैयारी भी की। रिवर्स स्विंग से निपटने के लिए मनोज प्रभाकर से की गयी बात असफल रहने के बाद, स्पिन के गुर सीखने के लिए बिशन सिंह बेदी को याद किया। बेदी ने भी मेहमानों की मदद करने में कोई गुरेज नहीं किया। पूर्व कप्तान स्टीव वॉ भी अपनी टीम को सलाह देते देखे गए। इन सब बातों से ही समझा जा सकता है कि कंगारुओं के लिए यह मुकाबला कितना अहम है।
लेकिन जैसा कि होता चला आया है। एक जंग में कई मोर्चे होते हैं और हर मोर्चे पर अलग अलग सिपाहसलार। इन मुकाबले में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिलेगा। जब दोनो टीमें अपनी पूरी ताकत से इस दूसरे के खिलाफ जी-जान लगा रही होंगी, उसी बीच मैदान पर कुछ व्यक्तिगत मुकाबले भी साथ साथ चल रहे होंगे।
मैथ्यू हैडन अपने जेहन में यह विचार कर रहे होंगे कि जहीर खान का तिलिस्म कैसे तोड़ना है। वहीं, ईशांत शर्मा की निगाहें विरोधी सेनानायक रिकी पोंटिंग की पोस्ट को कब्जाने पर होंगी। तो, हरभजन अपने फिरकी के जाल में माइकल हसी को फंसाने की रणनीति बनाते देखे जा सकेंगे। दरअसल, ये तीन आपसी मुकाबले, दोनो टीमों के मुकाबले के फैसले में भी निर्णायक भूमिका अदा करेंगे।
इस सीरीज में अब तक ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे बड़ी समस्या मैथ्यू हैडन की खोयी हुई लय है। हैडन ने इस सीरीज से पहले भारत के खिलाफ बेहतरीन खेल दिखाया है। लेकिन, इस सीरीज में जहीर की गेंदो ने उन्हें खुलकर खेलने का मौका ही नहीं दिया। चार बार इन दोनो का सामना हुआ और तीन बार हैडन जहीर का ही िशकार बने। कमाल की बात तो यह रही कि इन तीन बार में से भी जहीर ने अपने पहले ही ओवर में हैडन को चलता किया। दोनो बार वे खाता खोलने में भी कामयाब नहीं हुए। इससे ऑस्ट्रेलिया पर मैच की शुरुआत में ही दबाव पड़ गया। वैसे वेस्टइंडीज के खिलाफ चोट की वजह से बाहर रहे हैडन का चलना कंगारुओं के लिए बेहद जरूरी है। हैडन अब बल्ले के साथ साथ दिमागी जंग भी लड़ने लगे हैं। वे कहते हैं कि जहीर से पार पाने का इरादा उन्होने तलाश लिया है। खैर, ये तो राज तो कोटला पर मुकाबले के बाद ही खुलेगा कि हैडन का बल्ला बोलता है या जहीर की गेंद। वैसे कुल मिलाकर जहीर अब तक सात बार हैडन का विकेट चटका चुके हैं। लेकिन, इस बीच हरभजन सिंह का बयान आता है ‘हैडन एक बेहतरीन बल्लेबाज हैं, वे अभी बुरे वक्त से गुजर रहे हैं, लेकिन एक बड़ी पारी उन्हें उनकी लय में ला सकती है। एक बार सेट होने के बाद वे लंबी पारियां खेलते हैं। हम चाहेंगे कि वो भारत के खिलाफ ऐसा न करें।‘
यह बात किस ओर इशारा करती है, यहीं कि भारतीय टीम भी जानती है कि हैडन किस बला का नाम है। उनके बल्ले का जिन्न अभी शांत है। लेकिन, अगर वो बाहर निकला तो, भारत के लिए मुसीबतों के पहाड़ खड़े कर सकता है।
हैडन के जल्दी आउट होने के बाद कंगारु कप्तान रिकी पोंटिंग विकेट पर मोर्चा संभालने आते हैं। रिकी के लिए भारत के खेलना किसी बुरे सपने जैसा ही रहा है। लेकिन, सीरीज की अपनी पहली ही पारी में उन्होने शतक जड़ कर अपने ऊपर लगे इस धब्बे को हटाने का काम किया। वे खुद को साबित करते दिखाई दिए। लेकिन, उस एक पारी के बाद रिकी का स्कोर देखें 17,5 और 2 । यानि तीन पारियों में वे कुल मिलाकर अपनी पहली पारी का 5 वां हिस्सा ही बना पाए। इससे पहले पोंटिंग को भारत की स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ ही कमजोर समझा जाता रहा, लेकिन इस बार उनके सामने एक नया दुश्मन खड़ा था, ईशांत शर्मा। शर्मा पोंटिंग के लिए सिरदर्द तो भारत के ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर ही बन गए थे। लेकिन, इस सीरीज में कंगारु कप्तान को किसी भी तरह का रियायत देने के मूड में दिखाई दिए। इस सीरीज में तीन बार दिल्ली के इस ‘लंबू’ ने पंटर को चलता किया। इनमे से भी मोहाली टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में जिस तरह से ईशांत ने पोंटिंग के डिफेंस को भेदते हुए उनके गिल्लियां बिखेरीं वो अपने आप में एक कहानी कहती है। पोंटिंग एंड कंपनी दबाव में है। लेकिन टेस्ट क्रिकेट में 35 शतक, मौजूदा वक्त के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में शुमार, और 10 हजार से ज्यादा टेस्ट रन। ये आंकड़े यह भी दिलाते हैं पोंटिंग एक विश्वस्तरीय बल्लेबाज हैं और उनकी इस प्रतिभा को नजरअंदाज करना भारत के लिए घातक हो सकता है।
माइकल हसी, मौजूदा दौर के सबसे कामयाब बल्लेबाज। डॉन ब्रेडमैन के बाद सबसे ज्यादा टेस्ट औसत के साथ खड़े माइकल हसी। हसी ने इस सीरीज में अब तक अपने साथी खिलाडियों के मुकाबले अच्छा ही खेल दिखाया है। भारत में अपनी पहली पारी में उन्होने 146 रन बनाए। इस पारी से जरिए उन्होनें ऐलान कर दिया कि ‘यूं ही न छोडेगें मैदान, लगा देंगे अपनी पूरी जान’। दरअसल, 70 के करीब का टेस्ट औसत लिए माइकल हसी अपने साथ एक अलग ही तरह का रुतबा लेकर चलते हैं। हर बार कुछ ज्यादा कर दिखाने का दबाव हसी पर हमेशा रहता है। मोहाली टेस्ट में भी ऑस्ट्रेलिया खेमा और प्रशंसक उनसे इसी तरह के किसी करिश्मे की आस लगाए बैठे थे। लेकिन, हसी इस बार अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं कर पाए। सिर्फ 1 रन बनाकर वे हरभजन की एक गेंद पर विकेटों के सामने पाए गए। इस सीरीज में हरभजन ने दो बार हसी का विकेट लिया है। हसी नम्बर 6 पर बल्लेबाजी करते हैं। टेस्ट क्रिकेट मे यह काफी अहम जगह होती है। और, हसी ऑस्ट्रेलिया के लिए इस जगह पर बेहतरीन खेल दिखाते आए हैं। उनके खेल और उनकी प्रतिभा के बारे में कुछ भी कहना सूरज को रोशनी दिखाने जैसा होगा। मिस्टर क्रिकेट के नाम से मशहूर हसी लंबी और उपयोगी पारियां खेलने में उस्ताद माने जाते हैं। निचले क्रम के बल्लेबाजों के साथ अच्छा तालमेल बैठाकर पारी को लंबा खींचने की कला में माहिर हैं हसी। बोर्ड एकादश के खिलाफ अभ्यास मैच में उन्होने स्टुअर्ट क्लॉर्क के साथ मिलकर 40 ओवर तक विरोधी टीम को आखिरी विकेट के लिए तरसाए रखा। हसी का विकेट किसी भी टीम के लिए बेशकीमती होगा। ऐसे में, दिल्ली में धमाल करने के लिए भारतीय टीम चाहेगी कि हसी कम से कम यहां भी शांत ही रहें।
दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर सिर्फ भारत और ऑस्ट्रेलिया ही आमने सामने नहीं होंगी बल्कि इसके साथ ही मैदान पर कुछ व्यक्गित मुकाबले देखने को भी मिल सकते हैं। जो मुख्य मुकाबले पर अपनी छाप छोड़ते नजर आएंगे।
दिवाली की अगली सुबह। दिल्ली का फिरोजशाह कोटला मैदान। भारत और ऑस्ट्रेलिया एक बार फिर आमने-सामने। बॉर्डर-गावस्कर सीरीज के अहम मुकाबले के लिए तैयार दोनो टीमें। भारत साफ कर चुका है कि वो कोटला का किला जीतकर सीरीज का फैसला यहीं करने का इरादा रखता है। वहीं दूसरी ओर ऑस्ट्रेलियाई टीम मोहाली की हार के बाद जख्मी शेर जैसी हो गयी है। वो हर हाल में कोटला पर मोहाली का हिसाब चुकता करना चाहेगी। टीम ने इस मुकाबले के लिए कड़ी तैयारी भी की। रिवर्स स्विंग से निपटने के लिए मनोज प्रभाकर से की गयी बात असफल रहने के बाद, स्पिन के गुर सीखने के लिए बिशन सिंह बेदी को याद किया। बेदी ने भी मेहमानों की मदद करने में कोई गुरेज नहीं किया। पूर्व कप्तान स्टीव वॉ भी अपनी टीम को सलाह देते देखे गए। इन सब बातों से ही समझा जा सकता है कि कंगारुओं के लिए यह मुकाबला कितना अहम है।
लेकिन जैसा कि होता चला आया है। एक जंग में कई मोर्चे होते हैं और हर मोर्चे पर अलग अलग सिपाहसलार। इन मुकाबले में भी ऐसा ही नजारा देखने को मिलेगा। जब दोनो टीमें अपनी पूरी ताकत से इस दूसरे के खिलाफ जी-जान लगा रही होंगी, उसी बीच मैदान पर कुछ व्यक्तिगत मुकाबले भी साथ साथ चल रहे होंगे।
मैथ्यू हैडन अपने जेहन में यह विचार कर रहे होंगे कि जहीर खान का तिलिस्म कैसे तोड़ना है। वहीं, ईशांत शर्मा की निगाहें विरोधी सेनानायक रिकी पोंटिंग की पोस्ट को कब्जाने पर होंगी। तो, हरभजन अपने फिरकी के जाल में माइकल हसी को फंसाने की रणनीति बनाते देखे जा सकेंगे। दरअसल, ये तीन आपसी मुकाबले, दोनो टीमों के मुकाबले के फैसले में भी निर्णायक भूमिका अदा करेंगे।
इस सीरीज में अब तक ऑस्ट्रेलिया के लिए सबसे बड़ी समस्या मैथ्यू हैडन की खोयी हुई लय है। हैडन ने इस सीरीज से पहले भारत के खिलाफ बेहतरीन खेल दिखाया है। लेकिन, इस सीरीज में जहीर की गेंदो ने उन्हें खुलकर खेलने का मौका ही नहीं दिया। चार बार इन दोनो का सामना हुआ और तीन बार हैडन जहीर का ही िशकार बने। कमाल की बात तो यह रही कि इन तीन बार में से भी जहीर ने अपने पहले ही ओवर में हैडन को चलता किया। दोनो बार वे खाता खोलने में भी कामयाब नहीं हुए। इससे ऑस्ट्रेलिया पर मैच की शुरुआत में ही दबाव पड़ गया। वैसे वेस्टइंडीज के खिलाफ चोट की वजह से बाहर रहे हैडन का चलना कंगारुओं के लिए बेहद जरूरी है। हैडन अब बल्ले के साथ साथ दिमागी जंग भी लड़ने लगे हैं। वे कहते हैं कि जहीर से पार पाने का इरादा उन्होने तलाश लिया है। खैर, ये तो राज तो कोटला पर मुकाबले के बाद ही खुलेगा कि हैडन का बल्ला बोलता है या जहीर की गेंद। वैसे कुल मिलाकर जहीर अब तक सात बार हैडन का विकेट चटका चुके हैं। लेकिन, इस बीच हरभजन सिंह का बयान आता है ‘हैडन एक बेहतरीन बल्लेबाज हैं, वे अभी बुरे वक्त से गुजर रहे हैं, लेकिन एक बड़ी पारी उन्हें उनकी लय में ला सकती है। एक बार सेट होने के बाद वे लंबी पारियां खेलते हैं। हम चाहेंगे कि वो भारत के खिलाफ ऐसा न करें।‘
यह बात किस ओर इशारा करती है, यहीं कि भारतीय टीम भी जानती है कि हैडन किस बला का नाम है। उनके बल्ले का जिन्न अभी शांत है। लेकिन, अगर वो बाहर निकला तो, भारत के लिए मुसीबतों के पहाड़ खड़े कर सकता है।
हैडन के जल्दी आउट होने के बाद कंगारु कप्तान रिकी पोंटिंग विकेट पर मोर्चा संभालने आते हैं। रिकी के लिए भारत के खेलना किसी बुरे सपने जैसा ही रहा है। लेकिन, सीरीज की अपनी पहली ही पारी में उन्होने शतक जड़ कर अपने ऊपर लगे इस धब्बे को हटाने का काम किया। वे खुद को साबित करते दिखाई दिए। लेकिन, उस एक पारी के बाद रिकी का स्कोर देखें 17,5 और 2 । यानि तीन पारियों में वे कुल मिलाकर अपनी पहली पारी का 5 वां हिस्सा ही बना पाए। इससे पहले पोंटिंग को भारत की स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ ही कमजोर समझा जाता रहा, लेकिन इस बार उनके सामने एक नया दुश्मन खड़ा था, ईशांत शर्मा। शर्मा पोंटिंग के लिए सिरदर्द तो भारत के ऑस्ट्रेलियाई दौरे पर ही बन गए थे। लेकिन, इस सीरीज में कंगारु कप्तान को किसी भी तरह का रियायत देने के मूड में दिखाई दिए। इस सीरीज में तीन बार दिल्ली के इस ‘लंबू’ ने पंटर को चलता किया। इनमे से भी मोहाली टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में जिस तरह से ईशांत ने पोंटिंग के डिफेंस को भेदते हुए उनके गिल्लियां बिखेरीं वो अपने आप में एक कहानी कहती है। पोंटिंग एंड कंपनी दबाव में है। लेकिन टेस्ट क्रिकेट में 35 शतक, मौजूदा वक्त के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में शुमार, और 10 हजार से ज्यादा टेस्ट रन। ये आंकड़े यह भी दिलाते हैं पोंटिंग एक विश्वस्तरीय बल्लेबाज हैं और उनकी इस प्रतिभा को नजरअंदाज करना भारत के लिए घातक हो सकता है।
माइकल हसी, मौजूदा दौर के सबसे कामयाब बल्लेबाज। डॉन ब्रेडमैन के बाद सबसे ज्यादा टेस्ट औसत के साथ खड़े माइकल हसी। हसी ने इस सीरीज में अब तक अपने साथी खिलाडियों के मुकाबले अच्छा ही खेल दिखाया है। भारत में अपनी पहली पारी में उन्होने 146 रन बनाए। इस पारी से जरिए उन्होनें ऐलान कर दिया कि ‘यूं ही न छोडेगें मैदान, लगा देंगे अपनी पूरी जान’। दरअसल, 70 के करीब का टेस्ट औसत लिए माइकल हसी अपने साथ एक अलग ही तरह का रुतबा लेकर चलते हैं। हर बार कुछ ज्यादा कर दिखाने का दबाव हसी पर हमेशा रहता है। मोहाली टेस्ट में भी ऑस्ट्रेलिया खेमा और प्रशंसक उनसे इसी तरह के किसी करिश्मे की आस लगाए बैठे थे। लेकिन, हसी इस बार अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं कर पाए। सिर्फ 1 रन बनाकर वे हरभजन की एक गेंद पर विकेटों के सामने पाए गए। इस सीरीज में हरभजन ने दो बार हसी का विकेट लिया है। हसी नम्बर 6 पर बल्लेबाजी करते हैं। टेस्ट क्रिकेट मे यह काफी अहम जगह होती है। और, हसी ऑस्ट्रेलिया के लिए इस जगह पर बेहतरीन खेल दिखाते आए हैं। उनके खेल और उनकी प्रतिभा के बारे में कुछ भी कहना सूरज को रोशनी दिखाने जैसा होगा। मिस्टर क्रिकेट के नाम से मशहूर हसी लंबी और उपयोगी पारियां खेलने में उस्ताद माने जाते हैं। निचले क्रम के बल्लेबाजों के साथ अच्छा तालमेल बैठाकर पारी को लंबा खींचने की कला में माहिर हैं हसी। बोर्ड एकादश के खिलाफ अभ्यास मैच में उन्होने स्टुअर्ट क्लॉर्क के साथ मिलकर 40 ओवर तक विरोधी टीम को आखिरी विकेट के लिए तरसाए रखा। हसी का विकेट किसी भी टीम के लिए बेशकीमती होगा। ऐसे में, दिल्ली में धमाल करने के लिए भारतीय टीम चाहेगी कि हसी कम से कम यहां भी शांत ही रहें।