भारत मल्होत्रा
पहले वनडे के बाद न्यूजीलैंड के खिलाफ बाकी मैचों में ‘आराम' के नाम पर टीम से बाहर रखे गए ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग पिछले कुछ दिनों से चयनकर्ताओं से बार-बार कहते रहे हैं कि टीम में अनुभवी खिलाडि़यों को तरजीह दी जाए। दरअसल, पिछले कुछ समय से ऑस्ट्रेलियाई टीम की लगातार पराजय के पीछे अनुभवहीनता भी एक बड़ी वजह मानी जा रही है। ऐसे में पोंटिंग की यह मांग गैरवाजिब नहीं जान पड़ती है।
'मुझे ऐसा लगता है कि अब वा वक्त आ गया है जब टेस्ट क्रिकेट में हमें युवाओं को कुछ समय के लिए नजरअंदाज करना होगा और अनुभव को तरजीह देनी होगी।' यह बयान है ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग का, जो ऑस्ट्रेलियाई अखबार 'सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड' में प्रकाशित हुआ था।
पोंटिंग आगे कहते हैं, ‘दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड के खिलाफ होने वाली महत्वपूर्ण सीरीज के लिए सबसे बेहतरीन टीम चुननी होगी।’
यह बयान एक ऐसे कप्तान का है, जिसने अपनी टीम के साथ जीत के उस शिखर को देखा है, जो किसी भी टीम के लिए सपना हो सकता है। अब जबकि पोंटिंग और उनकी टीम इस शिखर से तेजी से फिसल रही है, उनकी बेचैनी को, उनकी बौखलाहट को समझा जा सकता है।
दक्षिण अफ्रीका से अपने ही घर में टेस्ट और वनडे सीरीज गंवाने के बाद ऑस्ट्रेलिया को एक बार फिर दक्षिण अफ्रीका से भिड़ना है, मगर इस बार अपनी जमीन पर नहीं। उसके बाद इंग्लैंड के साथ एशेज जैसी प्रतिष्ठित सीरीज है। ऐसे में पोंटिंग किसी भी तरह का जोखिम नहीं मोल लेना चाहते।
अभी हाल ही में समाप्त हुई दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में ब्रेट ली के अलावा ऑस्ट्रेलियाई टीम में कोई भी गेंदबाज ऐसा नहीं था, जिसने 25 टेस्ट भी खेले हों। इस तथ्य की रोशनी में साफ देखा जा सकता है कि ऑस्ट्रेलिया टीम गेंदबाजी विभाग में अनुभव की कमी से जुझ रही है।
अगर, ऑस्ट्रेलिया इन दोनों सीरीज में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाया तो विश्व क्रिकेट में उसकी साख मटियामेट हो जाएगी। यही वजह है कि पोंटिंग अब एक ऐसी टीम चाहते हैं, जिसमें अनुभव की कमी नहीं हो और वह दबाव में बिखरने के बजाए मुश्किल हालात का सामना अच्छी तरह करने में सक्षम हो सके। अगर हम वर्तमान ऑस्ट्रेलियाई टीम पर नजर डालें तो अनुभवी खिलाडि़यों की कमी साफ नजर आती है।
कुछ दिन पहले जब मैथ्यू हेडन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा तो पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ईयान चैपल ने अपने कॉलम में लिखा- 'अब जब हेडन ने भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास का ऐलान कर दिया है, तो मौजूदा ऑस्ट्रेलियाई टीम में सिर्फ रिकी पोंटिंग और ब्रेट ली ही ऐसे खिलाड़ी रह गए हैं, जो स्टीव वॉ की लगातार 16 टेस्ट जीत हासिल करने वाली टीम का हिस्सा थे।'
यह बात भले ही एक बार को बहुत बड़ी न लगे, लेकिन बीते करीब दो सालों में कई बड़े ऑस्ट्रेलियाई खिलाडि़यों ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहा है। शेन वॉर्न, ग्लेन मैक्ग्रा, एडम गिलक्रिस्ट, जेसन गिलेस्पी, जस्टिन लेंगर और डेमियन मार्टिन जैसे कई नाम इस सूची में शामिल हैं। मैथ्यू हेडन इस लिस्ट में सबसे नया नाम है।
एक समय था, जब ऑस्ट्रेलियाई टीम में अनुभवी खिलाडि़यों की भरमार थी। और, उन्हीं अनुभवी खिलाडि़यों के साथ बीच-बीच में युवा खिलाडि़यों को मौका देकर उनकी प्रतिभा को निखारा जाता था। था। किसी भी बड़े नाम को आराम देकर कंगारू उसकी भरपाई एक नए और युवा खिलाड़ी से कर लेते थे। दिग्गजों के साथ खेलने की वजह से नए खिलाड़ी भी आत्मविश्वास से भरे रहते थे और उन पर किसी तरह का दबाव नहीं रहता था।
लेकिन, तब से लेकर अब तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट और ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट में भी बहुत बदलाव आ चुका है। पिछले कुछ वक्त से ऑस्ट्रेलियाई टीम की बादशाहत को भारत और दक्षिण अफ्रीका लगातार चुनौती दे रहे हैं। वनडे में तो कंगारु शीर्ष स्थान गंवा ही चुके है। उस शिखर पर अब दक्षिण अफ्रीका काबिज है।
दरअसल, पिछले कुछ सालों में जितने दिग्गजों ने संन्यास लिया है, ऑस्ट्रेलियाई टीम उसकी भरपाई नहीं कर पाई है। टेस्ट क्रिकेट में जस्टिन लेंगर और मैथ्यू हेडन की सलामी जोड़ी का विकल्प अभी तक ऑस्ट्रेलिया के पास नहीं है। वहीं वनडे में शॉन मॉर्श और डेविड वॉर्नर से गिलक्रिस्ट और हेडन की कमी को पूरा करने की उम्मीद रखना अभी जल्दबाजी होगा। मैथ्यू हेडन और लेंगर ने 113 टेस्ट पारियों में 51.88 की औसत से 5655 रन जोड़े। अब इन दोनो के संन्यास लेने के बाद टीम के पास उनका कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है।
ग्लेन मैक्ग्रा के पास भले ही बल्लेबाजों को बैकफुट पर धकेलने वाली गति न रही हो, लेकिन उनकी गेंदबाजी की लाइन और लेंथ में इतनी ताकत थी कि उसने 14 साल तक बल्लेबाजों को परेशान किए रखा। अपनी सटीक गेंदों के दम पर ने मैक्ग्रा ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 944 विकेट अपने नाम किए। बल्लेबाजों के पास मैक्ग्रा की इस बेहरतीन गेंदबाजी का कोई जवाब नहीं होता था। यह बात सच है कि मैक्ग्रा और वॉर्न जैसे गेंदबाज बार बार नहीं आते, लेकिन मैक्ग्रा के बाद ब्रेट ली से जितनी उम्मीद थी, वे उसे पूरा नहीं कर पाए हैं। वहीं स्तरीय स्पिनर की बात तो छोडि़ए, ऑस्ट्रेलियाई टीम के पास एक भी ऐसा स्पिनर नहीं है, जो कुछ टेस्ट लगातार खेल सके।
दरअसल, क्रिकेट ऐसा टीम गेम है, जिसमें जोश के साथ-साथ अनुभव की भी खासी जरूरत होती है। ऐसे में पोंटिंग चयनकर्ताओं को अनुभवी खिलाड़ी चुनने की सलाह देते हैं, तो इसे दरकिनार नहीं किया जाना चाहिए।
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