बस कुछ दिन और...। लोगों की बातों में, दिल के जज्बातों में। चाय के ठेले पर। सब्जी के रेले पर। बस-रेल की भीड़ में। हर जगह बस एक ही बात होगी। हर जगह बस एक सवाल। सब बस एक ही चीज पूछेंगे। 'भाई स्कोर क्या हुआ है।' सारे देश पर छा जाएगा क्रिकेट का खुमार। एक ऐसा नशा जिसमें हर हिन्दुस्तानी झूमेगा। और इस बार हमारा साथ देगी सारी दुनिया। जी, क्रिकेट विश्व कप शुरू होने को है। और इस बार मेजबानी का जिम्मा मिला है हमें। हम यानी क्रिकेट को मजहब मानने वाले लोग। हम यानी खिलाडि़यों को भगवान वाले लोग। हम यानी खेल को किसी उत्सव सरीखा मनाने वाले लोग। तो, क्रिकेट का महाकुंभ शुरू होने को है। इंतजार कीजिये बस कुछ दिन और....।
गली के नुक्कड़ पर एक्सपर्ट कमेंट होंगे। हर गेंद पर दी जाने वाली सलाहों का दौर होगा। चाय की दुकानों पर मेले सरीखा माहौल होगा। कुल्लड़ में भी गेंद सरीखे नजर आयेंगे। रिक्शे वाले के रेडियो पर कान गढ़ाये कमेंटरी का आनंद लेने से भी नहीं चूकेंगे। थम-थमकर किसी दुकान में झांकने में भी गुरेज नहीं होगा। अर्सा गुजर गया जिन रिश्तेदारों से बात किए हुए, उन्हें याद कर करके टिकटों का जुगाड़ करने में भी कोई शर्म महसूस नहीं करेंगे। आखिर, ऐसे मौकों पर ही तो अपनों को याद किया जाता है। घर की लाइट जाने का इससे ज्यादा दुख कभी नहीं होगा। इसी समय इन्वर्टर की कमी सबसे ज्यादा महसूस होगी। दोस्तों को फोन करके पहला सवाल पूछेंगे, ' भाई स्कोर क्या हुआ है।' इंतजार कीजिये बस कुछ दिन और...।
टिकटों के लिए लाइन में लगकर डंडे खाएंगे। इस जूनून के लिए कुछ भी गुजर जाएंगे। मैदान नहीं तो उसके सामने की ऊंची बिल्डिंग की छत ही सही। और, वो भी न मिले तो बाहर खड़ा कोई पेड़ ही सही। हमें तो बस तशरीफ रखने भर की जगह मिल जाये। बस किसी तरह से एक झलक हरी घास पर 22 गज की पट्टी पर खेले जाने वाले खेल की बस एक झलक मिल जाये। उस झलक के लिये कुछ भी कर गुजरने को तैयार होंगे हम। जिन्हें सीट मिलेगी वे समझेंगे खुद को खुशकिस्मत। और नाकाम रहने वाले जम जायेंगे टीवी के सामने। इंतजार कीजिये, बस कुछ दिन और....।
19 फरवरी को भारत और बांग्लादेश के बीच होने वाले मुकाबले की शुरुआत के साथ ही बज जाएगी रणभेरी। शुरू हो जाएगा 'विश्व युद्ध।' देशभक्ति होगी, लेकिन अपने अलग अंदाज में। एक अलग ही कशिश होगी हर किसी के मिजाज में। अपने चहेते खिलाडि़यों के लिये हर दर पर सिर झुकाए जाएंगे। भगवान भी इन दिनों खूब मनाए जाएंगे। मन्नतों का दौर चल निकलेगा। महजब और जात की दीवार कुछ तो कम होगी। जीत में साथ जश्न और हार में आंखें साथ नम होंगी। ढ़ोल पर साथ थिरकेंगे कदम। हर उम्मीद कि कप लाएंगे हम। साथ चल पड़ेंगे शायद तब सबके कदम। इंतजार कीजिये, बस कुछ दिन और....।
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