Thursday, March 26, 2009

न्‍यूजीलैंड के नाम रहा नेपियर का पहला दिन

न्‍यूजीलैंड के नेपियर शहर का मैक्लिन पॉर्क स्‍टेडियम। इस मैदान को लेकर मेजबान टीम के पास कोई और मीठी याद नहीं थी। इस मैदान पर खेले गए सात मुकाबलों में मेजबान टीम अभी तक एक बार भी जीत का स्‍वाद नहीं चख पाई थी। और, जब मार्टिन गुप्टिल 8 रन बनाकर जहीर खान की गेंद पर 8 रन बनाकर आउट हुए न्‍यूजीलैंड 23 रन पर 3 विकेट खोकर संकट में आ गयी थी। हालांकि मैक्‍लनटोश अंपायर के गलत फैसले का ि‍शकार हुए।

लेकिन, यहीं से किस्‍मत ने कीवी टीम के साथ देना शुरु कर दिया। रॉस टेलर की पारी की शुरुआत अच्‍छी नहीं रही। गेंद उनके बल्‍ले को छकाती रही। गेंद कभी बल्‍ले का बाहरी किनारा लेती स्लिप के ऊपर से जाती और कभी स्लिप के बीच में से। लेकिन, इस सब बातों के बीच टेलर लगे रहे और शतक बनाकर ही दम लिया। इस बीच उन्‍हें दो जीवनदान भी मिले, लेकिन टेलर का सफर जारी रहा। रॉयडर के साथ मिलकर उन्‍होंने रिकॉर्ड 271 रन जोड़े।

रॉयडर और टेलर ने मिलकर न्‍यूजीलैंड को न सिर्फ संकट से निकालने का काम किया बल्कि दिन का खेल खत्‍म होने तक 4 विकेट पर 351 रन बनाकर मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया है। टेलर 26 चौकों और एक छक्‍के की मदद से 151 रन बनाकर हरभजन सिंह की गेंद पर आउट हुए, लेकिन रॉयडर अभी भी 137 रन बनाकर जमे हुए हैं।

विकेट पर घास नजर नहीं आ रही। ऐसे में गेंदबाजों के लिए मददगार के तौर पर कही जाने वाली यह विकेट अब बल्‍लेबाजों का स्‍वर्ग नजर आ रही है। तभी तो टॉस जीतते ही डेनियल विटोरी ने पहले बल्‍लेबाजी करने का फैसला किया। हालांकि, उनके शुरुआती बल्‍लेबाजों ने उनके इस फैसले को गलत ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन, रॉयडर और टेलर की परियों के बाद विटोरी कुछ राहत की सांस ले रहे होंगे।

इस मैच में भारत की ओर से महेंद्र सिंह धोनी नहीं खेल रहे हैं। ऐसे में टीम की कमान वीरेंद्र सहवाग ने संभाली। उन्‍होंने सभी तिकड़म आजमा लिए लेकिन टेलर ओर रॉयडर की जोड़ी से पार नहीं पा सके। कभी खुद को गेंदबाजी पर लाए तो कभी युवराज को, लेकिन टेलर और रॉयडर तो जैसे इरादा कर चुके थे कि अब हार नहीं मानेंगे। टेलर ने अपने करियर का तीसरा और रॉयडर ने सीरीज में अपना दूसरा शतक पूरा किया।

भारतीय टीम की खराब फील्डिंग ने भी उसे निराश किया। युवराज सिंह और राहुल द्रविड़ ने अगर टेलर का कैच पकड़ने में मुस्‍तैदी दिखाई होती तो दिन के आखिर में तस्‍वीर कुछ और ही बयां कर रही होती। मैदान पर खिलाडि़यों के अंदर जोश और जज्‍बे का अभाव भी देखा जा सकता था। जैसे वे कुछ करने की बजाए, खुद ब खुद कुछ होने का इंतजार कर रहे हों। अब यह धौनी की गैरमौजूदगी का असर था या फिर रॉयडर और टेलर ने टीम इंडिया के हौसले पस्‍त कर दिये थे।
कुल मिलाकर टीम इंडिया के लिए आज का दिन भुलाने वाला ही रहा। कल टीम को नए हौसले और जज्‍बे के साथ मैदान पर उतरना होगा।
भारत मल्‍होत्रा

Wednesday, March 25, 2009

आईपीएल चला विदेश...

तो आखिर इस बात का फैसला हो गया कि इस बार आईपीएल का आयोजन दक्षिण अफ्रीका में होगा। हालांकि, इस दौड़ में इंग्‍लैंड भी शामिल था, लेकिन बाजी दक्षिण अफ्रीका के हाथ आई।

खैर, चुनावों से तारीखों की टकराहट के कारण इसके इस बार भारत में होने पर तो पहले से ही संदेह जताया जा रहा था। खिलाडि़यों को खुश करने के लिए बोर्ड ने इसकी आयोजन की तारीखों को भी 8 दिन आगे बढ़ा दिया है। दरअसल, खिलाड़ी दबी जुबान में बोर्ड के इस कड़े कार्यक्रम का विरोध करने लगे थे। उन्‍हें अपने परिवार से मिलने का वक्‍त नहीं मिल रहा था।

वेसे, दक्षिण अफ्रीका का मौसम इस समय क्रिकेट के लिए माकूल माना जा रहा है, वहीं इंग्‍लैंड में इन दिनों बरसात के दिन चल रहे हैं, इसलिए इंग्‍लैंड इस दौड़ में‍ पिछड गया।

लेकिन, इन सब बातों के बीच आईपीएल चैयरमेन ललित मोदी और क्रिकेट दक्षिण अफ्रीका के अध्‍यक्ष गेराल्‍ड मोयला की दोस्‍ती भी रंग लाई दिखती है। अब नए ताजा कार्यक्रम के अनुसार दक्षिण अफ्रीका के छह मैदानों में इस टूर्नामेंट के मैच खेले जाएंगे। इसके साथ ही इस बात का भी ख्‍याल रखा जाएगा कि मैचों का प्रसारण उस समय किया जाएगा ताकि भारतीय दर्शक टीवी पर मैच शाम चार बजे और आठ बजे ही देख पाएं। इससे यह बात तो साफ हो गई कि क्रिकेट अब स्‍टेडियम से ज्‍यादा टीवी का खेल हो गया है। कैमरा लोगों की आंख और सोच बन गया है। रोज आती नयी तकनीक दर्शकों को खेल के नए आयामों से रूबरू करवा रही है।

आईपीएल के बाहर जाने को भले ही देश की साख पर एक सवाल की नजर से देखा जा रहा हो, लेकिन एक बात और है कि इसके बाहर जाने से एक नए बाजार के दरवाजे भी तो खुल रहे हैं। नए लोग और नए चाहने वाले इस टूर्नामेंट से जुड़ रहे हैं। सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ी आईपीएल के बाहर जाने पर अफसोस जता चुके हैं। इसके साथ ही, फ्रेंचाइजी तो यही चाहते थे कि आईपीएल का आयोजन भारत में ही हो, लेकिन जब सवाल यह उठा कि या तो इसका आयोजन कहीं और हो या फिर ना हो, तो फिर दूसरे ही रास्‍ते को ही बेहतर माना गया। खैर, जो कुछ हो आईपीएल तो विदेश चल पड़ा है। तो इस बार आईपीएल बन गया है एसएआईपीएल।

Thursday, March 12, 2009

वाह सहवाग वाह!

पिछले काफी समय से व्‍यस्‍ताओं और आलसीपन के चलते ब्‍लॉग पर समय नहीं दे पाया। उसके लिए माफी चाहता हूं। इस बार पूरी कोशिश है कि ब्‍लॉग को नियमित अपडेट करता रहूं।

वीरेंद्र सहवाग ने न्‍यूजीलैंड के हैमिल्‍टन मैदान पर बल्‍लेबाजी का वो नजारा पेश किया कि देखने वालों के मुंह से सिर्फ एक ही शब्‍द निकला- वाह! बुधवार को जब देश होली के रंगों में सराबोर था, सहवाग हैमिल्‍टन में आतिशाबाजी कर रहे थे। सहवाग के सामने न्‍यूजीलैंड के गेंदबाज असहाय नजर आए।

सिर्फ 60 गेंदों का फासला तय करना पड़ा सहवाग को वनडे क्रिकेट में अपने 11 वें शतक तक पहुंचने के‍ लिए। इसके साथ ही सहवाग वनडे में भारत की ओर से सबसे तेज शतक लगाने वाले बल्‍लेबाज बन गए। 21 साल पुराना मोहम्‍मद अजहरुद्दीन का रिकॉर्ड टूट गया। यह संयोग की ही बात है कि उस समय भी विपक्षी टीम न्‍यूजीलैंड ही थी और बुधवार को भी न्‍यूजीलैंड की टीम ही सामने थी। उनकी इस पारी में आक्रमकता तो थी, लेकिन हड़बड़ाहट नहीं दिखी। बल्‍ले से‍ निकलता हर शॉट क्रिकेट की खूबसूरती दिखाता नजर आया। हां, एक-दो शॉट जरूर मिसहिट हुए, लेकिन यही तो सहवाग का अंदाज है- पूरी तरह बेखौफ।

पहले विकेट के लिए सहवाग ने अपने साथी गौतम गंभीर के साथ मिलकर 201 रन जोड़े। हालांकि, गंभीर ने भी करीब 100 के स्‍ट्राइक रेट से 63 रन बनाए, लेकिन सहवाग के 74 गेंदों में 125 रनों के सामने उनकी यह पारी अनदेखी रह गई।

न्‍यूजीलैंड के गेंदबाजों की असहयता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कीवी टीम के कप्‍तान डेनियल विटोरी ने चौथे वनडे में हार के बाद कहा कि जब सहवाग इस अंदाज में बल्‍लेबाजी कर रहे हों, तो गेंदबाज कुछ नहीं कर सकते।

दुनिया भर के गेंदबाजों के लिए खौफ बन चुके सहवाग को शॉट पिच गेंदों के सामने कुछ कमजोर समझा जाता रहा। कहा जाने लगा कि अगर उन्‍हें रोकना है तो, यही सबसे कारगर उपाय है। लेकिन, अब लगता है कि उन्‍होनें अपनी इस कमी से भी पार पा लिया है। मैच के बाद संजय मांजरेकर भी कहते दिखे कि सहवाग अब शॉट गेंदों के सामने पहले से ज्‍यादा सहज नजर आते हैं। पहले इंग्‍लैंड के खिलाफ घरेलू सीरीज और अब न्‍यूजीलैंड में भी सहवाग पुल शॉट खेल रहे थे, जैसे वे गेंदबाजों को संदेश देना चाह रहे हों कि बच के रहना, अब मेरे तरकश में यह तीर भी है। निश्चित रूप से यह गेंदबाजों के लिए अच्‍छी खबर नहीं है।

न्‍यूजीलैंड दौरे पर जाने से पहले सहवाग ने कहा था कि वहां की पिचें उनके बल्‍लेबाजी स्‍टाइल के अनुरुप नहीं है, शायद उनके जेहन में 2002-03 की यादें होंगी, जब भारतीय बल्‍लेबाजी ताश के पत्‍तों की तरह ढ़ह गई थी। लेकिन, उस दौरान भी उन्‍होंने सात मैचों में दो शतक लगाए थे।

इस बार की पिचें तो रनों से भरपूर नजर आ रही हैं, तभी तो सहवाग कहते हैं कि न्‍यूजीलैंड के छोटे मैदानों और सपाट पिचों के चलते यहां बल्‍लेबाज वनडे में दोहरा शतक बना सकता है। कभी बल्‍लेबाजों के लिए कब्रगाह मानी जाने वाली न्‍यूजीलैंड के विकेटों पर इस बार गेंदबाजों की उम्‍मीदों को झटका लगा है।
लेकिन जो भी हो क्रिकेट बल्‍लेबाजों का खेल है और इस बात की अब तस्‍दीक होती जा रही है। और जिस तरह की विकेटें बनती जा रही हैं वो दिन अब दूर नजर नहीं आता जब वनडे क्रिकेट में भी बल्‍लेबाज 200 रन का जादुई आंकड़ा छू लेंगे।

भारत मल्‍होत्रा