न्यूजीलैंड के नेपियर शहर का मैक्लिन पॉर्क स्टेडियम। इस मैदान को लेकर मेजबान टीम के पास कोई और मीठी याद नहीं थी। इस मैदान पर खेले गए सात मुकाबलों में मेजबान टीम अभी तक एक बार भी जीत का स्वाद नहीं चख पाई थी। और, जब मार्टिन गुप्टिल 8 रन बनाकर जहीर खान की गेंद पर 8 रन बनाकर आउट हुए न्यूजीलैंड 23 रन पर 3 विकेट खोकर संकट में आ गयी थी। हालांकि मैक्लनटोश अंपायर के गलत फैसले का िशकार हुए।
लेकिन, यहीं से किस्मत ने कीवी टीम के साथ देना शुरु कर दिया। रॉस टेलर की पारी की शुरुआत अच्छी नहीं रही। गेंद उनके बल्ले को छकाती रही। गेंद कभी बल्ले का बाहरी किनारा लेती स्लिप के ऊपर से जाती और कभी स्लिप के बीच में से। लेकिन, इस सब बातों के बीच टेलर लगे रहे और शतक बनाकर ही दम लिया। इस बीच उन्हें दो जीवनदान भी मिले, लेकिन टेलर का सफर जारी रहा। रॉयडर के साथ मिलकर उन्होंने रिकॉर्ड 271 रन जोड़े।
रॉयडर और टेलर ने मिलकर न्यूजीलैंड को न सिर्फ संकट से निकालने का काम किया बल्कि दिन का खेल खत्म होने तक 4 विकेट पर 351 रन बनाकर मजबूत स्थिति में पहुंचा दिया है। टेलर 26 चौकों और एक छक्के की मदद से 151 रन बनाकर हरभजन सिंह की गेंद पर आउट हुए, लेकिन रॉयडर अभी भी 137 रन बनाकर जमे हुए हैं।
विकेट पर घास नजर नहीं आ रही। ऐसे में गेंदबाजों के लिए मददगार के तौर पर कही जाने वाली यह विकेट अब बल्लेबाजों का स्वर्ग नजर आ रही है। तभी तो टॉस जीतते ही डेनियल विटोरी ने पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। हालांकि, उनके शुरुआती बल्लेबाजों ने उनके इस फैसले को गलत ठहराने में कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन, रॉयडर और टेलर की परियों के बाद विटोरी कुछ राहत की सांस ले रहे होंगे।
इस मैच में भारत की ओर से महेंद्र सिंह धोनी नहीं खेल रहे हैं। ऐसे में टीम की कमान वीरेंद्र सहवाग ने संभाली। उन्होंने सभी तिकड़म आजमा लिए लेकिन टेलर ओर रॉयडर की जोड़ी से पार नहीं पा सके। कभी खुद को गेंदबाजी पर लाए तो कभी युवराज को, लेकिन टेलर और रॉयडर तो जैसे इरादा कर चुके थे कि अब हार नहीं मानेंगे। टेलर ने अपने करियर का तीसरा और रॉयडर ने सीरीज में अपना दूसरा शतक पूरा किया।
भारतीय टीम की खराब फील्डिंग ने भी उसे निराश किया। युवराज सिंह और राहुल द्रविड़ ने अगर टेलर का कैच पकड़ने में मुस्तैदी दिखाई होती तो दिन के आखिर में तस्वीर कुछ और ही बयां कर रही होती। मैदान पर खिलाडि़यों के अंदर जोश और जज्बे का अभाव भी देखा जा सकता था। जैसे वे कुछ करने की बजाए, खुद ब खुद कुछ होने का इंतजार कर रहे हों। अब यह धौनी की गैरमौजूदगी का असर था या फिर रॉयडर और टेलर ने टीम इंडिया के हौसले पस्त कर दिये थे।
कुल मिलाकर टीम इंडिया के लिए आज का दिन भुलाने वाला ही रहा। कल टीम को नए हौसले और जज्बे के साथ मैदान पर उतरना होगा।
भारत मल्होत्रा
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