भारत मल्होत्रा
आईसीसी की टेस्ट रेटिंग में टॉप टेन में किसी भी भारतीय बल्लेबाज को जगह नहीं दी गई। चोटी के 20 बल्लेबाजों में भी सिर्फ सुनील गावस्कर को ही शुमार किया गया है, वह भी 20वें स्थान पर। टेस्ट और वनडे में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले तेंदुलकर 26वें नंबर हैं, हेडन और हसी से पीछे। आईसीसी की ‘ऑल टाइम रैंकिंग’ ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है।
क्या मैथ्यू हेडन और कुमार संगकारा सचिन तेंदुलकर और ब्रॉयन लारा से बेहतर बल्लेबाज हैं। क्या केविन पीटरसन और माइकल हसी की उपलब्धियां तेंदुलकर और लारा से आगे हैं। भले ही यह सवाल अपने आप में बेमानी लगे, हर किसी का अपना पसंदीदा खिलाड़ी हो सकता है। लेकिन, शायद ही आपमें से किसी के दिल में सचिन तेंदुलकर की महानता के बारे में कोई शुबहा होगा। लेकिन, कम से कम आईसीसी तो यही मानती है। यही वजह है कि आईसीसी की बल्लेबाजों की ‘ऑल टाइम रैंकिंग’ ने एक नयी बहस को जन्म दे दिया है।
आईसीसी की टेस्ट रेटिंग में टॉप टेन में किसी भी भारतीय बल्लेबाज को जगह नहीं दी गई है। यहां तक कि चोटी के 20 बल्लेबाजों में भी सिर्फ सुनील गावस्कर को ही शुमार किया गया है, वह भी 20वें स्थान पर। टेस्ट क्रिकेट में ब्रॉयन लारा के सबसे ज्यादा रनों के रिकॉर्ड को तोड़ने वाले सचिन तेंदुलकर जहां इस फेरहिस्त में 26वें नंबर पर हैं और राहुल द्रविड़ 30वें स्थान पर हैं। वनडे में भी सचिन को 12वें पायदान पर रखा गया है। तो, शायद नम्बरों के इस खेल में सचिन काफी पीछे रह गए हैं। हालांकि, आईसीसी ने साफ कर दिया कि रेटिंग किसी खिलाड़ी की महानता को दर्ज करने का पैमाना नहीं है।
अपनी इस लिस्ट पर उठते विवाद को देखते हुए आईसीसी ने भी सफाई देने में देर नहीं लगाई। आईसीसी ने यह भी साफ किया कि आखिर रेटिंग प्वाइंट देने का सिस्टम क्या है। आईसीसी के मीडिया मैनेजर जेम्स फिटगरलार्ड ने ‘नियो टीवी’ के एक कार्यक्रम में बताया कि यह सिस्टम काफी पेचीदा है। उन्होंने बताया कि इस सिस्टम में कई बातों का ध्यान रखा जाता है।
उन्होंने साफ किया कि अगर एक किसी मैच में कोई एक बल्लेबाज रन बनाता है और उसकी टीम के बाकी खिलाड़ी ऐसा कर पाने में नाकाम रहते हैं, तो उस खिलाड़ी को काफी अंक मिलेंगे। लेकिन, उसी मैच में उसकी टीम के अगर चार-पांच बल्लेबाज रन बनाते हैं, तो उसे कम प्वाइंट मिलेंगे। इसके साथ ही मैदान, पिच, परिस्थितियां और विपक्षी टीम के खेल जैसे पहलुओं पर भी गौर किया जाता है।साथ ही यह भी देखा जाता है कि बल्लेबाज का प्रदर्शन टीम को जिताने में कितना अहम रहा। अगर, एक उदारहण देखा जाए तो , वेस्टइंडीज टीम ने जब 2001 में श्रीलंका दौरे पर थी। ब्रॉयन लारा के बल्ले से लगातार रन निकल रहे थे। लारा ने तीन मैचों की सीरीज में 688 रन बनाए थे। लेकिन, बावजूद इसके वेस्टइंडीज सीरीज 3-0 से हार गई थी। तो भला लारा की क्या गलती है अगर उसकी टीम के बाकी खिलाड़ी उनका साथ नहीं निभा पाए।
आईसीसी का कहना है कि भले ही मैथ्यू हेडन को टेस्ट में 10वें और वनडे में 18वें पायदान पर जगह दी गई हो, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि वो सार्वकालिक सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों की सूची में 10वें या 18वें नंबर पर हैं। आईसीसी ने यह भी साफ कर दिया कि रैंकिंग सिर्फ यह दिखाने का काम करती है कि खिलाड़ी अपने करियर के सफर के दौरान कितनी ऊचाई तक पहुंचा, यह इस बात पर नजर नहीं डालती कि किसी खिलाडी के प्रदर्शन में कितनी निरंतरता है।
यानि, अगर कोई खिलाड़ी किसी एक वक्त में 750 की रेटिंग के आसपास होता है और कुछ वक्त के लिए ही सही, वो 900 की रेटिंग छू लेता है तो वह उस खिलाड़ी से आगे निकल जाएगा जो लगातार 850 की रेटिंग बरकरार रखे हुए है। यह बात बेमानी सी लगती है। किसी एक खिलाड़ी को भला उसके पूरे करियर की बजाए कुछ समय के प्रदर्शन के लिहाज से परखना सही नहीं लगता। एक तरीका जो सामने आता है वो यह कि किसी खिलाड़ी के पूरे करियर की रेटिंग का औसत निकाला जाए और इसके बाद लिस्ट तैयार किया जाए। लेकिन, यह नियम भी पूरी तरह से कारगर सिद्ध नहीं होगा क्योंकि इसका खा़मियाज़ा उस खिलाड़ी को भुगतना पड़ सकता है, जिसके करियर ने देर से रफ्तार पकड़ी हो। आईसीसी की रेटिंग को मानें तो सचिन तेंदुलकर करियर में अन्य खिलाडि़यों के मुकाबले कम खराब वक्त होते हुए उनसे नीचे रह गए।
आईसीसी ने अपनी लिस्ट में ब्रॉयन लारा, ग्रेग चैपल, वॉली हेमंड जैसे दिग्गजों को भी चोटी के 20 बल्लेबाजों में जगह नहीं दी। लेकिन, क्या इससे यह बल्लेबाज कम महान हो गए। या क्रिकेट को इनकी देन पहले से कम हो गई। क्या, आईसीसी की ‘बेस्ट ऐवर लिस्ट’ में तवज्जो न दिए जाने से लारा और सचिन जैसे खिलाड़ी छोटे हो जाएंगे? बिल्कुल नहीं। इन खिलाडि़यों को अपनी पहचान के लिए आईसीसी के इस लिस्ट में एक नंबर या दो नंबर पर होने की जरूरत नहीं है।
टेस्ट क्रिकेट में 12 हजार से ज्यादा रन, 41 शतक, करीब 55 का बल्लेबाजी औसत। वनडे में 16000 से ज्यादा रन, 400 से ज्यादा वनडे और 42 शतक। ये आंकडे अपने आप में सचिन तेंदुलकर की बल्लेबाजी की महानता को दिखाने के लिए काफी हैं। इसके साथ ही उनका वनडे में स्ट्राइक रेट भी 85 रन प्रति 100 गेंद से ऊपर की है। इंग्लैंड के पूर्व सलामी बल्लेबाज ज्यॉफ बॉयकॉट ने सचिन के बारे में कहा था कि सचिन ने जितने मैच खेले हैं, उसमें इतने ज्यादा रन बनाना इतनी बड़ी बात नहीं है, जितना कि स्ट्राइक रेट और औसत में शानदार सांमजस्य बनाए रखना। और, यही उनके खेल की महानता है।
इसके साथ ही क्रिकेट टीम गेम है। इसमें किसी भी खिलाड़ी की कामयाबी अकेले उसकी कामयाबी नहीं होती, बल्कि वह पूरी टीम की कामयाबी होती है। ऐसे में इस तरह की व्यक्तिगत रेटिंग को इतनी तवज्जो देने की जरूरत भी क्या है।
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