ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग के अपनी टीम के खिलाडि़यों के आईपीएल के दूसरे सीजन में भाग न लेने संबंधी बयान में उनकी अपनी चिंता ज्यादा जाहिर होती है। विपक्षी टीमों से मिल रही कड़ी चुनौती को देखते हुए पोंटिंग की वास्तविक चिंता विश्व क्रिकेट में अपनी टीम की बादशाहत को बनाए रखना है। वैसे भी, खेल तो कभी किसी के लिए रुकता नहीं।
भारत मल्होत्रा
राजकपूर की फिल्म 'मेरा नाम जोकर' का एक मशहूर डॉयलॉग है 'शो मस्ट गो ऑन'। यानि कोई रहे या न रहे शो चलते रहना चाहिए। ऑस्ट्रलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग को भी यह बात समझ लेनी चाहिए कि भले ही वो और उनकी टीम के खिलाड़ी आईपीएल में भाग न लें, लेकिन आईपीएल इस बार भी कामयाब होगा और उम्मीद की जानी चाहिए कि पिछली बार से ज्यादा।
ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग ने यह कह कर कि आईपीएल के दूसरे सीजन से ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी दूर रह सकते हैं, एक नई बहस को जन्म दे दिया है। पोंटिंग का कहना है कि वे एशेज से पहले अपने खिलाडियों को पूरी तरह फिट रखना चाहते हैं।
तो ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर ऑस्ट्रेलियाई खिलाडि़यों जैसे रिकी पोंटिंग, ब्रेट ली, एंड्रयू सायमंड्स आदि के न आने से इस टूर्नामेंट की चमक पर असर पड़ेगा। शायद नहीं, मेरा यह कहने के पीछे जायज वजह भी है। आईपीएल के पहले सीजन में दर्जन भर से ज्यादा ऑस्ट्रेलियाई खिलाडि़यों ने भाग लिया था। इनमें मैथ्यू हेडन, रिकी पोंटिंग, शॉन मॉर्श, ब्रेट ली, जेम्स होप्स, माइकल हसी जैसे सितारे शामिल थे।
वैसे भी, पिछली बार भी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी आईपीएल में ज्यादा वक्त तक शिरकत करते नजर नहीं आए थे। मैथ्यू हेडन, रिकी पोंटिग, माइकल हसी और ब्रेट ली जैसे उस समय के ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाडि़यों ने अपनी अपनी टीम की ओर से सिर्फ चार आईपीएल मैचों में ही भाग लिया था। मैथ्यू हेडन और माइकल हसी ने अपना आईपीएल में आखिरी मैच 29 अप्रैल को ही खेला था जबकि उनकी टीम चेन्नई सुपरकिंग्स ने टूर्नामेंट का फाइनल एक जून को खेला था। यानि, उनके जाने के एक महीने बाद भी आईपीएल न सिर्फ चला था बल्कि कामयाबी के साथ चला था। दूसरी बात, मौजूदा ऑस्ट्रेलियाई टीम में से सिर्फ कप्तान रिकी पोंटिंग, ब्रेट ली, माइकल हसी, साइमन कैटिच, एंड्रयू सायमंड्स और शॉन मॉर्श (रिटायर्ट हुए मैथ्यू हेडन के स्थान के दावेदार) का ही एशेज के लिए चुना जाना संभव नजर आता है। और, अगर वे खेलते भी हैं तो वे भी शायद कुछ ही मैचों के लिए। तो, इन सितारों के न होने से कुछ ज्यादा फर्क पड़ता नजर नहीं आ रहा।
ऑस्ट्रेलियाई खिलाडि़यों के न आने से आईपीएल की लोकप्रियता पर असर पड़ेगा ऐसा होता नजर नहीं आ रहा। आईपीएल को उसके कॉन्सेप्ट और खेल के स्तर और रोमांच के कारण मिली थी। यहां पर ऐसे खिलाडि़यों ने भी वाहवाही बटोरी जिनके बारे में इस टूर्नामेंट से पहले कोई जानता तक नहीं था।
ऑस्ट्रेलियाई कप्तान की इस बात के पीछे उनकी एक चिंता भी साफ नजर आती है। खराब दौर से गुजर रही कंगारू टीम की बादशाहत पर खतरा मंडरा रहा है। पहले भारत से सीरीज हार कर लौटना, उसके बाद अपने ही घर में दक्षिण अफ्रीकी टीम से सीरीज की हार। ऊपर से आईसीसी ने उससे नम्बर एक की ट्रॉफी जो पिछले आठ सालों से उसके पास थी वो भी वापस मंगा ली है। तो, पोंटिंग एंड कंपनी के लिए अब मुसीबतें पहले से ज्यादा हो गयी हैं। दुनिया भर की टीमें अब ऑस्ट्रेलिया को उतना बड़ा खतरा नहीं मानते जितना कि कुछ वक्त तक पहले तक मानते थे। और रही बात एशेज की तो वह सीरीज ऑस्ट्रेलिया के लिए इज्जत का सवाल है। भारत दौरे पर आई इंग्लैंड ने आतंकवादी हमले के बाद जिस तरह का जज्बा दिखाया था वो काबिले-तारीफ था। इंग्लैंड ने लोगों की वाहवाही लूटी थी। मैदान पर भी इंग्लैंड के खेल को ऑस्ट्रेलिया से बेहतर आंका गया। ऐसे में इस साल अपने ही घर में होने वाल एशेज के लिए इंग्लैंड कंगारुओं पर भारी ही नजर आ रही है। शायद पोंटिंग भी जानते हैं कि अपनी कप्तानी और नम्बर एक की सीट बचाने के लिए उनके लिए यह सीरीज कितनी महत्वपूर्ण
भारत मल्होत्रा
राजकपूर की फिल्म 'मेरा नाम जोकर' का एक मशहूर डॉयलॉग है 'शो मस्ट गो ऑन'। यानि कोई रहे या न रहे शो चलते रहना चाहिए। ऑस्ट्रलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग को भी यह बात समझ लेनी चाहिए कि भले ही वो और उनकी टीम के खिलाड़ी आईपीएल में भाग न लें, लेकिन आईपीएल इस बार भी कामयाब होगा और उम्मीद की जानी चाहिए कि पिछली बार से ज्यादा।
ऑस्ट्रेलियाई कप्तान रिकी पोंटिंग ने यह कह कर कि आईपीएल के दूसरे सीजन से ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी दूर रह सकते हैं, एक नई बहस को जन्म दे दिया है। पोंटिंग का कहना है कि वे एशेज से पहले अपने खिलाडियों को पूरी तरह फिट रखना चाहते हैं।
तो ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर ऑस्ट्रेलियाई खिलाडि़यों जैसे रिकी पोंटिंग, ब्रेट ली, एंड्रयू सायमंड्स आदि के न आने से इस टूर्नामेंट की चमक पर असर पड़ेगा। शायद नहीं, मेरा यह कहने के पीछे जायज वजह भी है। आईपीएल के पहले सीजन में दर्जन भर से ज्यादा ऑस्ट्रेलियाई खिलाडि़यों ने भाग लिया था। इनमें मैथ्यू हेडन, रिकी पोंटिंग, शॉन मॉर्श, ब्रेट ली, जेम्स होप्स, माइकल हसी जैसे सितारे शामिल थे।
वैसे भी, पिछली बार भी ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी आईपीएल में ज्यादा वक्त तक शिरकत करते नजर नहीं आए थे। मैथ्यू हेडन, रिकी पोंटिग, माइकल हसी और ब्रेट ली जैसे उस समय के ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाडि़यों ने अपनी अपनी टीम की ओर से सिर्फ चार आईपीएल मैचों में ही भाग लिया था। मैथ्यू हेडन और माइकल हसी ने अपना आईपीएल में आखिरी मैच 29 अप्रैल को ही खेला था जबकि उनकी टीम चेन्नई सुपरकिंग्स ने टूर्नामेंट का फाइनल एक जून को खेला था। यानि, उनके जाने के एक महीने बाद भी आईपीएल न सिर्फ चला था बल्कि कामयाबी के साथ चला था। दूसरी बात, मौजूदा ऑस्ट्रेलियाई टीम में से सिर्फ कप्तान रिकी पोंटिंग, ब्रेट ली, माइकल हसी, साइमन कैटिच, एंड्रयू सायमंड्स और शॉन मॉर्श (रिटायर्ट हुए मैथ्यू हेडन के स्थान के दावेदार) का ही एशेज के लिए चुना जाना संभव नजर आता है। और, अगर वे खेलते भी हैं तो वे भी शायद कुछ ही मैचों के लिए। तो, इन सितारों के न होने से कुछ ज्यादा फर्क पड़ता नजर नहीं आ रहा।
ऑस्ट्रेलियाई खिलाडि़यों के न आने से आईपीएल की लोकप्रियता पर असर पड़ेगा ऐसा होता नजर नहीं आ रहा। आईपीएल को उसके कॉन्सेप्ट और खेल के स्तर और रोमांच के कारण मिली थी। यहां पर ऐसे खिलाडि़यों ने भी वाहवाही बटोरी जिनके बारे में इस टूर्नामेंट से पहले कोई जानता तक नहीं था।
ऑस्ट्रेलियाई कप्तान की इस बात के पीछे उनकी एक चिंता भी साफ नजर आती है। खराब दौर से गुजर रही कंगारू टीम की बादशाहत पर खतरा मंडरा रहा है। पहले भारत से सीरीज हार कर लौटना, उसके बाद अपने ही घर में दक्षिण अफ्रीकी टीम से सीरीज की हार। ऊपर से आईसीसी ने उससे नम्बर एक की ट्रॉफी जो पिछले आठ सालों से उसके पास थी वो भी वापस मंगा ली है। तो, पोंटिंग एंड कंपनी के लिए अब मुसीबतें पहले से ज्यादा हो गयी हैं। दुनिया भर की टीमें अब ऑस्ट्रेलिया को उतना बड़ा खतरा नहीं मानते जितना कि कुछ वक्त तक पहले तक मानते थे। और रही बात एशेज की तो वह सीरीज ऑस्ट्रेलिया के लिए इज्जत का सवाल है। भारत दौरे पर आई इंग्लैंड ने आतंकवादी हमले के बाद जिस तरह का जज्बा दिखाया था वो काबिले-तारीफ था। इंग्लैंड ने लोगों की वाहवाही लूटी थी। मैदान पर भी इंग्लैंड के खेल को ऑस्ट्रेलिया से बेहतर आंका गया। ऐसे में इस साल अपने ही घर में होने वाल एशेज के लिए इंग्लैंड कंगारुओं पर भारी ही नजर आ रही है। शायद पोंटिंग भी जानते हैं कि अपनी कप्तानी और नम्बर एक की सीट बचाने के लिए उनके लिए यह सीरीज कितनी महत्वपूर्ण
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