Saturday, April 18, 2009

कई इशारे कर दिया आईपीएल-2 का पहला दिन

भारत मल्‍होत्रा

टी-20 को हमेशा से ही युवाओं का खेल माना जाता है। एक ऐसा खेल जो बहुत तेज चलता है और इस तेजी से कदमताल करने के नौजवान कदमों को बेहद जरूरी माना जाता है। लेकिन, आईपीएल सीजन दो के पहले दिन यह कहानी में बदलाव देखा गया। सचिन तेंदुलकर उम्र 35 साल, राहुल द्रविड़ उम्र 36 साल, और अनिल कुंबले उम्र 38 साल- यह उम्र पहली नजर में टी-20 के लिए माकूल नहीं समझी जाती खासकर तब, जब इनमें से कोई भी टी-20 टीम का हिस्‍सा नहीं है। कुंबले तो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अ‍‍लविदा कह चुके हैं और राहुल द्रविड़ तो वनडे टीम का भी हिस्‍सा नहीं हैं।

लेकिन, आईपीएल में इन उम्रदराज खिलाडि़यों ने ही अपनी अपनी टीम की जीत में अहम रोल अदा किए। सचिन तेंदुलकर ने मुंबई इंडियंस की ओर से खेलते हुए आईपीएल 09 में पहली हॉफ सेंचुरी लगाई और राहुल द्रविड़ ने महज 48 गेंदों में 66 रन बनाकर इस बात की तस्‍दीक कर दी कि वे‍ परिस्थिति के हिसाब से अपनी पारी को ढ़ाल सकते हैं।

इन सबके बीच अनिल कुंबले ने सिर्फ पांच रन देकर पांच विकेट अपने नाम किए और यह दिखा दिया कि अभी भी उनकी गेंदों में दमखम बाकी है। और शेन वॉर्न ने भी अपनी फिरकी के जादू में फंसा कर रॉयल चैलेंजर्स के दो विकेट अपने नाम किए।

इन अनुभवी खिलाडि़यों का यह प्रदर्शन ने इस बात की ओर भी इशारा करता है कि दक्षिण अफ्रीका की विकेटों पर रन बनाने इतने आसान नहीं होंगे और इसलिए यहां तकनीक की जरुरत पिछली बार से ज्‍यादा होगी। यहां गेंदबाज पर आक्रमण करने से पहले विकेट और हवाओं का मिजाज भांपने की जरुरत होगी। यहां आंख बंद कर बल्‍ला घुमाने से काम नहीं चलेगा। यह पहला दिन इस बात की ओर इशारा करता है कि भले ही टी-20 में गेंदबाजों के लिए कुछ न हो लेकिन, बल्‍लेबाजी भी आंख मूंदकर नहीं की जा सकती। क्रिकेट के इस सबसे छोटे फॉर्मेट में भी बेसिक ठीक करने की जरूरत होती है।

इसके साथ ही टॉस भी जीत हार के फैसले में निर्णायक रोल अदा कर सकता है। माना जाता है कि आमतौर पर दक्षिण अफ्रीका में आमतौर पर फ्लड लाइट में खेलना फील्डिंग टीम के लिए काफी मददगार होता हे। तभी तो रॉयल चैलेंजर्स कप्‍तान केविन पीटरसन ने टॉस जीतने के बाद फौरन बल्‍लेबाजी करने का फैसला किया।

आईपीएल सीजन दो के पहले दिन पिछली बार के फाइनल मुकाबले में पहुंची दोनो टीमों को हार का सामना करना पड़ा है (मुंबई इ‍ंडियंस ने चेन्‍नई सुपरकिंग्‍स को 19 और रॉयल चैलेंजर्स ने राजस्‍थान रॉयल्‍स को 75 रनों से हरा दिया)। खैर! अभी तो पहला ही दिन है और टीमों को अपनी रणनीति तय करने के अभी काफी मौके मिलेंगे। आप बस 37 दिनों तक मजा लीजिए रोमांचक क्रिकेट का।

Thursday, April 16, 2009

आ देखें जरा किसमें कितना है दम आईपीएल सीजन -2पार्ट- 2

हैदराबाद डेक्‍कन चार्जर्स (कप्‍तान - एडम गिलक्रिस्‍ट)

डेक्‍कन चार्जर्स को इस बार शायद वेस्‍टइंडीज के खिलाडि़यों से उम्‍मीद है तभी तो पिछले सीजन में सबसे निचले पायदान पर रही इस टीम ने इस बार दोनो वेस्‍टइंडीज खिलाडि़यों को शामिल किया है। तेज गेंदबाज फिडेल एडवर्डस और बल्‍लेबाज डेवन स्मिथ को शामिल किया है। स्मिथ पिछले सीजन में मुंबई इंडियंस में ड्रेवन ब्रॉवो के विकल्‍प के तौर पर खेले थे। इतने आक्रामक बल्‍लेबाजों के होते हुए भी यह टीम आईपीएल में सबसे निचले पायदान पर रही। (हालांकि इस बार शाहिद अफरीदी नहीं आएंगे) इस टीम के पास बल्‍लेबाज तो थे, लेकिन गेंदबाजी पक्ष कुछ कमजोर नजर आ रहा था। टीम इस बार कुछ बेहतर प्रदर्शन की उम्‍मीद कर रही होगी।

दिल्‍ली डेयरडेविल्‍स (कप्‍तान - वीरेंद्र सहवाग)

ऑफ सीजन में ऑस्‍ट्रेलिया के बल्‍लेबाज डेविड वॉर्नर और तेज गेंदबाज ड्रिक नेंस और एड्रयू मैक्‍डोनाल्‍ड को शामिल करने वाली दिल्‍ली डेयरडेविल्‍स ने इस बार की नीलामी में दो इंग्लिश खिलाडि़यों को अपनी टीम में शामिल किया। ओवेस शाह और पॉल कालिंगवुड को अपनी टीम में शामिल करने के बाद किया। दोनो ही खिलाड़ी गेंद और बल्‍ले दोनो से ही अपना हुनर दिखाने में माहिर यह दोनो खिलाड़ी टीम के मध्‍यक्रम को मजबूती देते हैं। पिछली बार ब्रेट ग्रीव्‍स को इस बार नीलामी में कोई खरीददार नहीं मिला। पिछले बार सेमीफाइनल तक का सफर तय करने वाली यह टीम इस बार टूर्नामेंट में आगे तक का सफर तय करना चाहेगी।

मुंबई इंडियंस (कप्‍तान - सचिन तेंदुलकर)

आईपीएल की सबसे मंहगी इस टीम ने बल्‍लेबाज रॉबिन उथप्‍पा को बंगलौर रॉयल चैलेंजर्स के जहीर खान से बदला। इंडियंस ने अपने खेमे में दक्षिण अफ्रीका के स्‍टार बल्‍लेबाज जेपी डुमिनी को (करीब 4.5 करोड़ रूपए) की रकम अदा कर अपनी टीम का हिस्‍सा बनाया है। जबरदस्‍त फॉर्म में चल रहे ड्युमिनी अपनी टीम के लिए कारगर हथियार साबित हो सकते हैं।

किंग्‍स इलेवन पंजाब ( कप्‍तान - सचिन तेंदुलकर)

शॉन मॉर्श को पिछले साल आईपीएल के जरिए काफी पहचान मिली। ऑस्‍ट्रेलिया के इस बाएं हाथ के सलामी बल्‍लेबाज ने अपनी टीम को सेमीफाइनल में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। लेकिन, इस बार मॉर्श कितने वक्‍त के लिए आईपीएल में खेल पाएंगे यह बात भी ध्‍यान देने वाली होगी। टीम ने इस बार इंग्लिश आलरांउडर रवि बोपारा और वेस्‍टइंडीज के तेज गेंदबाज जेर्मान टेलर को अपनी टीम में शामिल किया है। रामनरेश सरवन को इस बार किंग्‍स ने अपनी टीम में जगह नहीं दी। टीम में शॉन मॉर्श के अलावा साइमन कैटिच और जेम्‍स होप्‍स जैसे ऑस्‍ट्रेलियाई खिला‍ड़ी हैं। इस टीम में एक भी दक्षिण अफ्रीकी खिला‍ड़ी नहीं है।

आ देखें जरा किसमें कितना है दम आईपीएल सीजन २ पार्ट-1

मनोरंजन का बाप एक बार फिर धूम मचाने के लिए तैयार है। इस बार यह धूम भारत नहीं दक्षिण अफ्रीका में बजेगी। लगभग सभी टीमें दक्षिण अफ्रीका पहुंच चुकी हैं। आइए डालते हैं एक नजर सभी टीमों पर

राजस्‍थान रॉयल्‍स ( कप्‍तान- शेन वॉर्न)

पिछली बार की‍ विजेता राजस्‍थान रॉयल्‍स इस बार फिर हल्‍ला बोलने के लिए तैयार है। टीम के पास बड़े खिलाड़ी भले ही न हो, लेकिन उनके पास है जोश, जज्‍बा और जनून। इसके साथ है कप्‍तान और कोच शेन वॉर्न की सधी हुई रणनीति। पिछली बार के स्‍टार ऑस्‍ट्रेलियाई आलराउंडर शेन वॉटसन और पाकिस्‍तानी गेंदबाज सोहेल तनवीर की गैर मौजूदगी में इस बार टीम के बाकी खिलाडि़यों पर ज्‍यादा जिम्‍मेदारी निभानी होगी। दक्षिण अफ्रीका की टी-20 चैपियंस कोबरा से मिली हार को भूल कर रॉयल्‍स आईपीएल पर अपना खिताब कायम रखने की जंग के लिए उतरेंगे।

चेन्‍नई सुपरकिंग्‍स (कप्‍तान- महेंद्र सिंह धौनी)

बस एक कदम! इतना ही फासला था चेन्‍नई सुपरकिंग्‍स और जीत के बीच। गत वर्ष की उपविजेता पिछले सीजन की उपविजेता चेन्‍नई सुपरकिंग्‍स इस बार आखिरी गेंद पर मैच नहीं हारना चा‍हेगी। टीम ने इस बार इंग्‍लैंड के स्टार आलराउंडर एंड्रयू फ्लिंटॉफ को अपनी टीम में शामिल किया है। गेंद और बल्‍ले दोनो से मैच जिताने की खूबी रखने वाले इंग्लिश आलराउंडर टीम को गजब का बैलेंस देते हैं। टीम का बैलेंस उसकी बड़ी ताकत है। सुरेश रैना, मैथ्‍यू हैडन, एस.बद्रीनाथ और एल्‍बी मॉर्केल जैसे बल्‍लेबाजों के साथ टीम के पास मुरलीधरन और मखाया नतिनी जैसे गेंदबाज भी हैं। इन सबसे आगे कप्‍तान महेंद्र सिंह धौनी तो हैं ही जो इस समय जीत के रथ पर सवार हैं। तो, बाकी टीमों हो जाओ होशियार चेन्‍नई के शेर दहाड़ने को हैं तैयार।

बंगलौर रॉयल चैलेंजर्स (कप्‍तान - केविन पीटरसन)

टी-20 में आ पहुंची है टेस्‍ट टीम। विजय माल्‍या की इस टीम को पिछली बार इसी तरह से पुकारा गया था। लेकिन, इस बार टीम खुद पर लगा यह दाग धोने को बेताब है। टीम ने इस बार अपने खेमे में शामिल किया है इंग्‍लैंड के पूर्व कप्‍तान केविन पीटरसन को। पीटरसन जो जाने जाते हैं अपनी धाकड़ बल्‍लेबाजी और स्विच हिटिंग के लिए। केपी को ही इस बार रॉयल चैलेंजर्स की कप्‍तानी दी गयी है। उनकी गैरमौजूदगी में दक्षिण अफ्रीका के आलराउंडर जैक कैलिस यह जिम्‍मेदारी संभालेंगे। इसके साथ ही न्‍यूजीलैंड के धाकड़ बाएं हत्‍था बल्‍लेबाज जेसी रायडर भी शामिल हुए हैं रॉयल चैलेंजर्स के खेमे में। मुंबई से जहीर खान और रॉबिन उथप्‍पा की अदला बदली की। मुंबई से गौरव धीमान को अपनी टीम में अपनी शामिल किया। राजस्‍थान रॉयल्‍स से गेंदबाज पंकज सिंह भी बंगलौर रॉयल चैलेंजर्स की इस सीजन की टीम का हिस्‍सा बने हैं। साथ ही उत्‍तर प्रदेश के आलराउंडर भुवनेश्‍वर कुमार को भी टीम में शामिल किया गया है।

कोलकाता नाइट राइडर्स (कप्‍तान - ब्रेंडन मेक्‍कुलम)

कोलकाता नाइट राइडर्स की कमान इस बार कोलकाता के हीरो सौरव गांगुली के हाथ में नहीं होगी। उनके स्‍थान पर न्‍यूजीलैंड के विकेटकीपर बल्‍लेबाज ब्रेंडन मेक्‍कुलम को यह जिम्‍मेदारी दी गयी है। केकेआर ने आईपीएल के दूसरे सीजन के लिए सिर्फ बांग्‍लादेश के मुशरफे मुर्तजा को ही खरीदा। 50हजार डॉलर बेस प्राइस वाले मुर्तजा को 6लाख डॉलर की रकम मिली। सौरव गांगुली, क्रिस गेल और डेविड हसी जैसे आक्रामक बल्‍लेबाज टीम के बल्‍लेबाजी पक्ष को मजबूती देते हैं।

Monday, April 6, 2009

विकेट के आगे ही नहीं पीछे भी 'द वॉल' हैं द्रविड़

भारत मल्‍होत्रा 

वेलिंगटन का बेसिन रिजर्व मैदान। न्‍यूजीलैंड की दूसरी पारी के 11वें ओवर की आखिरी गेंद। जहीर खान का सामना कर रहे हैं टिम मेकिन्‍टोश। गेंद बाएं हाथ के मेकिन्‍टोश के बल्‍ले का बाहरी किनारा लेते हुए स्लिप में पहली स्लिप में खड़े सीधे राहुल द्रविड़ के हाथों में गयी। और द्रविड़ ने कैच को लपकने में कोई गलती नहीं की। लपकने के बाद द्रविड़ ने गेंद को चूमा। इसके बाद हरभजन सिंह की गेंद पर जैसी रायडर का कैच लपक कर अपने इस आंकड़े को 183 तक पहुंचाया।

23 जनवरी 1996 को लॉड्स में जवागल श्रीनाथ की गेंद पर इंग्‍लैंड के नासिर हुसैन से शुरू हुआ यह सफर अभी तक जारी है। द्रविड़ ने अपने करियर के 134 मैचों में पूर्व ऑस्‍ट्रेलियाई खिलाड़ी मॉर्क वॉ के इस रिकॉर्ड को तोड़ा जिन्‍होंने अपने करियर में 181 कैच लपके थे।  

पूर्व भारतीय विकेटकीपर विजय दाहिया ने द्रविड़ के इस रिकॉर्ड को एक बड़ी उपलब्धि बताया। दाहिया की राय में‍ स्लिप में फील्डिंग करना कोई मजाक नहीं है। इसके लिए सबसे जरूरी चीज- एकाग्रता है। आपको हर गेंद पर इस तरह तैयार रहना है, जैसे कि वो गेंद आपके पास आ रही हो। दाहिया कहते हैं कि सॉफ्ट हैंड भी स्लिप में फील्डिंग करने का दूसरा सबसे अहम मंत्र है। इसके अलावा चपलता होनी भी जरूरी है, तो फिर युवराज सिंह स्लिप में क्‍यों कामयाब नहीं हो पाए, इस पर दाहिया ने कहा युवराज एक बेहतरीन फील्डिंग है, लेकिन स्लिप फील्डिंग स्‍पेशेलिस्‍ट पोजीशन है।

हरभजन सिंह की गेंद पर जैसी रॉयडर का कैच लपकते ही द्रविड़ के नाम एक और दिलचस्‍प उपलब्धि जुड़ गई। दरअसल, इससे पहले द्रविड़ ने हरभजन और अनिल कुंबले की गेंदों पर मिलाकर 99 कैच लपके थे और जैसी रायडर इस भारतीय स्पिन जोड़ी (हालांकि कुंबले अब टीम के साथ नहीं हैं) के साथ उनका शतक पूरा करवाया।

द्रविड़ को नैचुरल कैचर मानने से इंकार करने वाले मॉर्क वॉ भी इस बात से इत्‍तेफाक रखते हैं कि स्पिनर्स के खिलाफ स्लिप फील्डिंग करना काफी मुश्किल होता है। वॉ भी द्रविड़ के स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ प्रदर्शन को एक बड़ी कामयाबी मानते हैं क्‍योंकि इस दौरान कैच लपकने का वक्‍त काफी कम होता है। द्रविड़ का यह प्रदर्शन दिखाता है वे‍ स्पिन और तेज दोनो ही तरह के गेंदबाजी पर बेहतरीन स्लिप फील्‍डर हैं।

लेकिन, क्‍या द्रविड़ के कैचों को सिर्फ नम्‍बर ही मान लेना चाहिए। दरअसल, यह द्रविड़ के उन 183 टेस्‍ट विकेटों में योगदान है। यह द्रविड़ की उसी एकाग्रता का नतीजा है जिसकी बदौलत वे टेस्‍ट क्रिकेट में 10हजार से ज्‍यादा बना चुके हैं। और, उनकी वही एकाग्रता उनकी फील्डिंग में भी नजर आती है। ऑस्‍ट्रेलिया और श्रीलंका के खिलाफ पिछले साल खेली गई टेस्‍ट सीरीज के दौरान न तो उनका बल्‍ला चल रहा था और न ही वे गेंद को सही तरीके से लपकने में ही कामयाब हो पा रहे थे। अब उनका आत्‍मविश्‍वास लौटता नजर आ रहा है, और द्रविड़ दोनो में ही अच्‍छा खेल दिखा रहे हैं। लेकिन, इस सीरीज में अपने चार अर्द्धशतकों में से किसी भी पारी को शतक में न बदल पाने का मलाल उन्‍हें भी है।

Friday, April 3, 2009

गेंद और बल्ले की खूबसूरत जंग रहा वेलिंगटन टेस्ट का पहला दिन

आज के दौर में जहां क्रिकेट में गेंद और बल्ले के बीच जंग में गेंद लगातार पिछडती चली जा रही है, टेस्ट क्रिकेट में आज भी गेंद और बल्ले के बीच खूबसूरत मुकाबले देखने को मिल जाते हैं। वेलिंगटन के रिजर्व बेसिन मैदान पर भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेले जा रहे तीसरे टेस्ट के पहले दिन कुछ ऐसा ही नजारा देखने को मिला। एक ओर जहां बल्लेबाज रन बटोरने में कामयाब रहे, वहीं गेंदबाजों ने भी 9 विकेट लेकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

भारत मल्होत्रा

वेलिंगटन टेस्ट का पहला दिन टेस्ट क्रिकेट की खूबसूरती लिए हुए था। इसमें रन थे, विकेट थे, द्रविड़ की पारी में जहां टेस्ट  क्रिकेट का संयम था वहीं हरभजन और जहीर खान ने वनडे और टी-20 का अंदाज दिखाया। इससे बेहतर, किसी और चीज की भला उम्मीद ही क्या की जा सकती है। मैच के पहले दिन, जहां भारत ने 375 रन बनाए जो उसके टेस्ट मैचों के पहले दिन बनाए गए सबसे ज्यादा रन हैं, वहीं न्यूजीलैंड भी 9 विकेट हासिल करने में कामयाब रहा।

भारत के लिए वीरेंद्र सहवाग और गौतम गंभीर ने तेज शुरूआत की। महज 10वें ओवर में टीम इंडिया 50 का आंकड़ा छू चुकी थी। सहवाग अपने चिर-‍परिचित अंदाज में बल्लेनबाजी कर रहे थे। 16वें ओवर की तीसरी गेंद पर जब सहवाग 48 रन बनाकर आउट हुए, तब तक भारत 73 रन बना चुका था। इसके अगले ही ओवर में गौतम गंभीर भी आउट हो गए।

क्रीज पर दो नए बल्लेबाज राहुल द्रविड़ और सचिन तेंदुलकर आ गए। न्यूएजीलैंड को मैच में वापसी की राह नजर आने लगी। लेकिन, इन दोनो अनुभवी बल्लेएबाजों ने कीवी टीम के इरादों पर पानी फेर दिया। इसके बाद फिर एडवांटेज इंडिया। लेकिन, इसके बाद कहानी में मोड़ आने शुरु होते हैं अब इसे  क्रिकेट की खूबसूरती कहिए या फिर कुछ और। 165 के स्कोर पर सचिन 62 रन बनाकर पैवेलियन लौटते हैं और 204 तक पहुंचते पहुंचते टीम इंडिया 6 विकेट खोकर गंभीर संकट में आ चुकी होती है।

टीम इंडिया की पारी को पार लगाने की बागडोर होती है कप्तान महेंद्र सिंह धौनी और हरभजन सिंह के हाथों में। दोनों के बीच सातवें विकेट के लिए 79 रनों की साझेदारी ने टीम इंडिया को संकट से निकालने का काम किया। जब धौनी और हरभजन बल्लेबाजी करने लगे तो उम्मीद तो यही की जा रही थी कि टीम इंडिया किसी तरह  275से 300 के बीच का आंकड़ा छू लेगी। लेकिन, एक बार फिर कहानी में‍ ट्विस्ट आता है। धौनी और हरभजन दबाव में आने की बजाए उल्टे कीवी टीम पर धावा बोल देते हैं, खासकर हरभजन। दिन के हीरो रहे हरभजन महज 58 गेंदों में छह चौकों और एक छक्के की मदद से अपना सातवां अर्द्धशतक पूरा करते हैं। धौनी आउट होते हैं तो टीम इंडिया का स्कोर होता है- 283/7। हरभजन सिंह को 60 रन बनाकर आउट होने के बाद भी इस बात का मलाल रह जाता है कि वे अपनी इस पारी को शतक में तब्दील नहीं कर पाए।

इसके बाद निचले क्रम के बल्लेकबाजों ने अपने हाथ दिखाने शुरु किए। वे लगातार स्लॉग करते रहे और किवी गेंदबाजों की सारी कोशिशें बेकार जाती रही। टीम इंडिया ने पहले दिन 214 रन चौकों और छक्कों की मदद से बनाए। अब अगर इस आंकड़े को नेपियर टेस्ट के आखिरी दिन के सामने रखा जाए जिसमें भारत ने पूरे दिन महज 205 रन बनाए थे। दिन के आखिरी सेशन के 35 ओवर में टीम इंडिया ने 185 रन जोड़े।

इस बीच कुछ हल्के -फुल्के लम्हें  भी आए। न्यूदजीलैंड के गेंदबाज मुनफ पटेल को आउट करने की कोशिश में लगे थे और मुनफ गेंद को स्लॉग करने में। ऐसी ही एक गेंद बल्ले का बाहरी किनारा लेती हुई थर्ड मैन के ऊपर से चार रनों के लिए गयी। जहीर जिस गेंद पर आउट हुए, ओ’ब्रॉयन की उस गेंद को वे विकेटकीपर ब्रेंडन मॅक्कु्लम के सिर के ऊपर से मारना चाहते थे, लेकिन कामयाब नहीं हुए। वहीं एक बार मुनफ और ईशांत शर्मा रन लेते समय टकरा गए। कमाल की बात यह रही कि ओ’ब्रॉयन भी गेंद उठाते समय फिसल गए।

तो, क्रिकेट की खूबसूरती लिए इस दिन में दोनो ही टीमें अपने अपने लम्हों  को लेकर खुश होंगे। हां बावजूद इसके न्यूजीलैंड को भारतीय पुछल्ले  बल्लेबाजों द्वारा बनाए रन जरूर सता रहे होंगे।