भारत मल्होत्रा
वेलिंगटन का बेसिन रिजर्व मैदान। न्यूजीलैंड की दूसरी पारी के 11वें ओवर की आखिरी गेंद। जहीर खान का सामना कर रहे हैं टिम मेकिन्टोश। गेंद बाएं हाथ के मेकिन्टोश के बल्ले का बाहरी किनारा लेते हुए स्लिप में पहली स्लिप में खड़े सीधे राहुल द्रविड़ के हाथों में गयी। और द्रविड़ ने कैच को लपकने में कोई गलती नहीं की। लपकने के बाद द्रविड़ ने गेंद को चूमा। इसके बाद हरभजन सिंह की गेंद पर जैसी रायडर का कैच लपक कर अपने इस आंकड़े को 183 तक पहुंचाया।
23 जनवरी 1996 को लॉड्स में जवागल श्रीनाथ की गेंद पर इंग्लैंड के नासिर हुसैन से शुरू हुआ यह सफर अभी तक जारी है। द्रविड़ ने अपने करियर के 134 मैचों में पूर्व ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी मॉर्क वॉ के इस रिकॉर्ड को तोड़ा जिन्होंने अपने करियर में 181 कैच लपके थे।
पूर्व भारतीय विकेटकीपर विजय दाहिया ने द्रविड़ के इस रिकॉर्ड को एक बड़ी उपलब्धि बताया। दाहिया की राय में स्लिप में फील्डिंग करना कोई मजाक नहीं है। इसके लिए सबसे जरूरी चीज- एकाग्रता है। आपको हर गेंद पर इस तरह तैयार रहना है, जैसे कि वो गेंद आपके पास आ रही हो। दाहिया कहते हैं कि सॉफ्ट हैंड भी स्लिप में फील्डिंग करने का दूसरा सबसे अहम मंत्र है। इसके अलावा चपलता होनी भी जरूरी है, तो फिर युवराज सिंह स्लिप में क्यों कामयाब नहीं हो पाए, इस पर दाहिया ने कहा युवराज एक बेहतरीन फील्डिंग है, लेकिन स्लिप फील्डिंग स्पेशेलिस्ट पोजीशन है।
हरभजन सिंह की गेंद पर जैसी रॉयडर का कैच लपकते ही द्रविड़ के नाम एक और दिलचस्प उपलब्धि जुड़ गई। दरअसल, इससे पहले द्रविड़ ने हरभजन और अनिल कुंबले की गेंदों पर मिलाकर 99 कैच लपके थे और जैसी रायडर इस भारतीय स्पिन जोड़ी (हालांकि कुंबले अब टीम के साथ नहीं हैं) के साथ उनका शतक पूरा करवाया।
द्रविड़ को नैचुरल कैचर मानने से इंकार करने वाले मॉर्क वॉ भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि स्पिनर्स के खिलाफ स्लिप फील्डिंग करना काफी मुश्किल होता है। वॉ भी द्रविड़ के स्पिन गेंदबाजों के खिलाफ प्रदर्शन को एक बड़ी कामयाबी मानते हैं क्योंकि इस दौरान कैच लपकने का वक्त काफी कम होता है। द्रविड़ का यह प्रदर्शन दिखाता है वे स्पिन और तेज दोनो ही तरह के गेंदबाजी पर बेहतरीन स्लिप फील्डर हैं।
लेकिन, क्या द्रविड़ के कैचों को सिर्फ नम्बर ही मान लेना चाहिए। दरअसल, यह द्रविड़ के उन 183 टेस्ट विकेटों में योगदान है। यह द्रविड़ की उसी एकाग्रता का नतीजा है जिसकी बदौलत वे टेस्ट क्रिकेट में 10हजार से ज्यादा बना चुके हैं। और, उनकी वही एकाग्रता उनकी फील्डिंग में भी नजर आती है। ऑस्ट्रेलिया और श्रीलंका के खिलाफ पिछले साल खेली गई टेस्ट सीरीज के दौरान न तो उनका बल्ला चल रहा था और न ही वे गेंद को सही तरीके से लपकने में ही कामयाब हो पा रहे थे। अब उनका आत्मविश्वास लौटता नजर आ रहा है, और द्रविड़ दोनो में ही अच्छा खेल दिखा रहे हैं। लेकिन, इस सीरीज में अपने चार अर्द्धशतकों में से किसी भी पारी को शतक में न बदल पाने का मलाल उन्हें भी है।
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