Friday, November 7, 2008

पारी में आठ विकेट लेकर करियर का बेहतरीन आगाज़ किया क्रेजा ने

क्रेजा का पहला टेस्‍ट। पहली ही पारी में उन्‍होने आठ विकेट अपने नाम किए। भले ही इसके लिए उन्‍हें 215 रन खर्च करने पड़े, जो रनों के मामले में सबसे मंहगा डेब्‍यू है। लेकिन, क्रेजा को इस बात का मलाल नहीं होगा।
भारत मल्होत्रा
'आई हेव डन इट', राहुल द्रविड़ के रुप में अपना पहला टेस्ट विकेट लेने के बाद शायद यही कह रहे होंगे जेसन क्रेजा। ऑस्‍ट्रेलियाई टीम के साथ भारत आए इस ऑफ स्पिनर ने अपने करियर का खूबसूरत आगाज किया। अपनी पहली ही पारी में उन्‍होंने 8 विकेट लिए। जेसन क्रेजा बतौर स्पिनर ऑस्‍ट्रेलियाई टीम की पहली पसंद नही रहे। वजह, बोर्ड प्रेसिडेंट एकादश के खिलाफ उनका निराशाजनक प्रदर्शन। इस मैच में उनके गेंदबाजी पर नजर डालिए 31-2-199-0। उनके इस प्रदर्शन ने उन्‍हें भारत दौरे के पहले तीन मैचों से दूर रखा।
लेकिन, वो हैदराबाद था और यह नागपुर। वो अभ्‍यास मैच था और यह इंटरनेशनल। विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन के इस नए मैदान पर जेसन क्रेजा बिलकुल नए रंग में देखने को‍ मिले। क्रेजा ने रन तो यहां भी‍ दिए पूरे 215। पर यहां उन्‍होंने अपने खर्च किए रनों की कीमत भी भारतीय बल्‍लेबाजों से खूब वसूली। उन्‍होने एक दो नहीं बल्कि पूरे आठ विकेट झटके।
टेस्‍ट क्रिकेट में अपना ओवर फेंकने आए क्रेजा का अनुभव अच्‍छा नहीं रहा। पहले ही ओवर में वीरेंद्र सहवाग ने उन पर हमला बोल दिया। एक चौका और एक छक्‍के की मदद से 11 रन बटोरे। लगा, क्रेजा की किस्‍मत यहां भी नहीं बदलने वाली। नागपुर और हैदराबाद में कोई बदलाव नहीं होगा। लेकिन, क्रेजा के इरादे कुछ और थे। वे साफ कर चुके थे कि भले ही रन बनाओ पर अपना विकेट मुझे दे जाओ।
उनके विकेटों की शुरुआत हुई, 'द वॉल' कहे जाने वाले राहुल द्रविड़ से। राहुल एक गेंद को काबू करने में नाकामयाब रहे और फॉरवर्ड शॉट लेग पर कैटिच को कैच थमा बैठे। क्रेजा को मिला उनके टेस्‍ट करियर का पहला विकेट। इसके बाद नम्‍बर आया वीरेंद्र सहवाग का। सहवाग, जो क्रेजा पर टेढ़ी निगाह रखे हुए थे। उनकी एक अंदर आती गेंद पर सहवाग ने कट करने की को‍‍शिश की, लेकिन गेंद बल्‍ले का अंदरूनी किनारा लेती हुई विकेटों से जा टकराई। इसके बाद क्रेजा ने लक्ष्‍मण को आउट कर अपने करियर का तीसरा विकेट लिया। यह तो कहानी थी मैच के पहले दिन की।
दूसरा दिन, एक नया दिन था। लेकिन, क्रेजा के लिए यहां भी कुछ नहीं बदला। भारतीय बल्‍लेबाज उन पर रन बनाते रहे और वे बदले में उनके विकेट झटकते रहे। यह सिलसिला चलता रहा। दूसरे दिन उनका पहला शिकार बने, भारतीय कप्‍तान महेंद्र सिंह धोनी। शायद भारतीय बल्‍लेबाज क्रेजा को नजरअंदाज कर रहे थे। यही बात इस ऑफ स्पिनर के पक्ष में जाती दिखी।
अपना आखिरी टेस्ट खेल रहे सौरव गांगुली को आउट कर क्रेजा ने अपने पांच विकेट पूरे किये। वे अपनी गेदों को फ्लाइट देने से नहीं डरे। नतीजा, उन्‍हें पिच से भी मदद मिली। जहीर खान, अमित मिश्रा और ईशांत शर्मा के विकेटों के साथ ही यह संख्‍या 8 तक जा पहुंची। इस प्रदर्शन से उन्‍होंने न सिर्फ टीम में अपनी दावेदारी को ही जायज ठहराया बल्कि 500 के पार जाते दिख रही भारतीय पारी को भी 441 पर ही समेट दिया।
लेकिन, इसके साथ ही क्रेजा के नाम कुछ और रिकॉर्ड भी जुड़े। कुछ ऐसे रिकॉर्ड जो उनके इस प्रदर्शन को कमतर करके दिखाते हैं। अपने पहले ही मैच में उन्‍होंने जो 215 रन खर्च किए, वो अपने आप में एक रिकॉर्ड बन गया। अपनी पहली पारी में किसी भी गेंदबाज ने इतने ज्‍यादा रन नहीं दिए। इसके साथ ही भारतीय जमीन पर किसी भी गेंदबाज का यह सबसे मंहगा प्रदर्शन भी है। लेकिन,हर बार आंकडों के आइने में प्रदर्शन को नहीं देखना चाहिए। क्रेजा ने रन भले दिए हों, लेकिन ‍सच्‍चाई यही है कि नागपुर टेस्ट में भारतीय पारी को समेटने का काम सिर्फ और सिर्फ उन्होंने ही किया। 26 साल के इस खिलाड़ी के लिए इससे बेहतरीन आगाज़ नहीं हो सकता था।

No comments: