Wednesday, September 17, 2008

बांग्‍लादेश क्रिकेट को लगा जोरदार झटका

बांग्‍लादेश के पूर्व कप्‍तान हबीबुल बशर के नेतृत्‍व में राष्‍ट्रीय टीम में शामिल छह क्रिकेटरों सहित 13 क्रिकेटरों के बागी ट्वेंटी-20 लीग आईसीएल में शामिल हो जाने से बांग्‍लादेश क्रिकेट संकट में आ गया है। इस घटना ने बांग्‍लादेश में क्रिकेट के भविष्‍य पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।
संकट से घिरे देशों में खेल महज खेल भर नहीं होता, बल्कि वहां के लोगों के लिए जीवन के दुख-दर्द को भुलाने का एक जरिया होता है। कभी प्रकृति की मार, तो कभी राजनीतिक संकट रुबरु होते रहने वाला करीब 15 करोड़ की आबादी वाला बांग्‍लादेश भी इसका एक उदाहरण है। कभी फुटबॉल के दीवाने रहे बांग्‍लादेश के लोगों के लिए पिछले कुछ सालों में क्रिकेट एक ऐसे खेल के रूप में उभरा है, जिसे यहां के लोग अपनी परेशानियों को भुलाने के एक माध्‍यम के रूप में देखते हैं। इस खेल के जरिये अपनी पहचान को ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं। वर्ल्‍डकप में पाकिस्‍तान और भारत जैसी मजबूत टीमों पर जीत हो या या फिर वनडे सीरीज में वर्ल्‍ड चैंपियन ऑस्‍ट्रेलिया पर जीत, ये कुछ ऐसे लम्‍हे हैं, जो रोजमर्रा के जीवन में परेशानियों से रुबरु होते बहुसंख्‍यक बांग्‍लादेशियों को गौरवान्वित होने का मौका देते हैं। इसलिए क्रिकेट की अहमियत आज इस देश में दिनोंदिन बढ़ रही है।
लेकिन, पिछले दो-तीन दिनों के घटनाक्रम से बांग्‍लादेश क्रिकेट को काफी धक्‍का पहुंचा है। बांग्‍लादेश के छह वर्तमान क्रिकेटरों सहित 13 क्रिकेट खिलाडियों ने देश के बजाए आईसीएल में खेलने का फैसला किया है। इस घटना ने क्रिकेट जगत में अपनी पहचान को गढ़ने की कोशिश कर रहे बांग्‍लादेश को सकते में ला दिया है। इससे उसकी टीम के और भी कमजोर हो जाने का अंदेशा है। वैसे भी पहले से ही बांग्‍लादेश को टेस्‍ट दर्जा दिए जाने पर सवाल उठते रहे हैं। लिहाजा, इस घटना से संकट और गहरा गया है। बांग्‍लादेश क्रिकेट इससे उबरने की जी-तोड़ कोशिश में लगा है। इन कोशिशों में खिलाडि़यों के मान-मनौव्‍वल से लेकर सजा देने की घोषणा तक शामिल है। बांग्‍लादेशी बोर्ड ने अपने उन खिलाडि़यों पर 10 साल का प्रतिबंध लगा दिया है जो आईसीएल से जुड़ रहे हैं। लेकिन, इससे समस्‍या का समाधान होने की उम्‍मीद कम ही दिखती है। कल को कुछ और बांग्‍लादेशी क्रिकेटर पैसे की वजह से इसमें शामिल हो सकते हैं।

वैसे तो बांग्‍लादेश में घरेलू क्रिकेट का ढांचा ठीक है। भारत, श्रीलंका, पाकिस्‍तान और इंग्‍लैंड के खिलाड़ी भी समय-समय पर वहां जाकर खेलते रहे हैं। मगर, साल 2000 में अपना पहला टेस्‍ट मैच खेलने वाली बांग्‍लादेश की टीम क्रिकेट जगत में अभी तक अपनी जगह तलाश रही है। जिस समय बांग्‍लादेश को टेस्‍ट टीम का दर्जा दिया जा रहा था उस वक्‍त भी इस फैसले का काफी विरोध का सामना करना पड़ा था। यह बात कही जा रही थी कि यह एक जल्‍दबाजी में लिया गया फैसला है। इस विरोध के बावजूद, आईसीसी ने बांग्‍लादेश को टेस्‍ट के एलीट क्‍लब में शामिल कर लिया।
मगर, पिछले आठ सालों में बांग्‍लादेश खुद को कभी भी एक टेस्‍ट टीम के रूप में स्‍थापित नहीं कर पाई। 53 टेस्‍ट मैच खेल चुकी बांग्‍लादेशी टीम अभी तक सिर्फ एक टेस्‍ट ही जीत पाई है, वह भी पतन के दौर से से गुजर रहे जिम्‍बाब्‍वे के खिलाफ। 47 मैचों में उसे हार का सामना करना पड़ा है। इस बीच रह-रहकर उसके टेस्‍ट दर्जे को बनाए रखने पर सवाल उठते रहे। मगर, बांग्‍लादेश में क्रिकेट के बाजार के चलते टेस्‍अ दर्जा वापस लेने का फैसला नहीं किया गया।
हालांकि वनडे में बांग्‍लादेश ने समय-समय पर बड़ी टीमों को हराकर उलटफेर किया है। चाहे 1996 के विश्‍व कप में पाकिस्‍तान पर जीत हो या‍ फिर 2007 विश्‍वकप में भारत को हराने का कारनामा, जिसकी वजह से भारत को पहले दौर में ही बाहर हो जाना। बांग्‍लादेश वर्ल्‍ड चैंपियन ऑस्‍ट्रेलिया को भी मात दे चुका है। लेकिन, बांग्‍लादेश ऐसे कारनामें कभी-कभार ही कर पाया। अपने प्रदर्शन की निरंतरता को बनाए नहीं रख सका। लिहाजा, ये सारी जीत महज तुक्‍का ही साबित होकर रह गई।
बांग्‍लादेश की क्रिकेट की गाड़ी अभी तक अपनी लय पकड़ भी नहीं पाई है कि उसे इतना बड़ा झटका स्‍पीड ब्रेकर की तरह सामने आ गया। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस झटके से टीम अपने मौजूदा हालात से दस साल तक पीछे चली जाएगी। उसे दोबारा वहीं से शुरू करना पड़ेगा, जहां से सालों पहले शुरूआत की थी। आखिर जो‍ खिलाड़ी आईसीएल में गए हैं उन्‍हें तैयार करने में बांग्‍लादेश क्रिकेट बोर्ड ने काफी मेहनत की होगी। भले ही उनका प्रदर्शन अच्‍छा न रहा हो, मगर क्रिकेट जगत वक्‍त के साथ-साथ उनके खेल के स्‍तर में बेहतरी की उम्‍मीद तो लगाए बैठा ही होगा। ऊपर से इन खिलाडियों को बागी करार देकर इन पर लगाए गए दस साल के प्रतिबंध ने इन खिलाडि़यों की वापसी की राह भी बंद कर दी है। बांग्‍लादेश के क्रिकेट पर आया यह संकट काफी गहरा है, जिससे निपटने में उसे काफी वक्‍त लग सकता है। इसके लिए न सिर्फ बांग्‍लादेश क्रिकेट बोर्ड को गंभीर प्रयास करने पड़ेंगे, बल्कि अन्‍य देशों के सहयोग की भी जरूरत होगी।

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