Sunday, September 21, 2008

भारत बनाम ऑस्‍ट्रेलिया, सबसे बड़ा मुकाबला

पिछले कुछ सालों में भारत-ऑस्‍ट्रेलिया मुकाबलों में क्रिकेट का जो रोमांच और शानदार स्‍तर देखने को मिला है, उसके आगे दूसरी श्रृंखलाओं की चमक फीकी पड़ गई है। चाहे वह ऑस्‍ट्रेलिया-इंग्‍लैंड की एशेज सीरीज हो या फिर भारत-पाक सीरीज। आज की तारीख में बिना शक कहा जा सकता है कि भारत-ऑस्‍ट्रेलिया सीरीज दुनिया की सर्वश्रेष्‍ठ बन गई है।
साल 2008 तारीख 9 अक्‍टूबर टेस्‍ट क्रिकेट के इतिहास का एक अहम दिन, जब भारत और ऑस्‍ट्रेलिया की टीमें जब बार्डर-गावस्‍कर ट्रॉफी पर कब्‍जा जमाने के लिए आमने-सामने होंगी। क्रिकेट का रोमांच अपने चरम पर होगा। दोनों देशों के बीच हुए पिछले मुकाबलों को देखते हुए यह उम्‍मीद करना बेमानी नहीं होगा। पूरी दुनिया में खेली जा रही क्रिकेट पर नजर डालें, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत-ऑस्‍ट्रेलिया का मुकाबला दुनिया का सबसे बड़ा और कड़ा मुकाबला हो गया है। इस सीरीज में एक ओर ऑस्‍टेलिया है, जो विश्‍व क्रिकेट के शिखर काबिज है तो दूसरी ओर भारत है, जो क्रिकेट में ऑस्‍ट्रेलियाई सत्‍ता के सामने सबसे बड़ी चुनौती है।

भारत और ऑस्‍ट्रेलिया के बीच खेली जा रही यह सीरीज कितनी बड़ी है, इस बात का अंदाजा दोनों ओर से हो रही बयानबाजी से ही लगाया जा सकता है। ऑस्‍ट्रेलिया के पूर्व और वर्तमान दोनो ही खिलाड़ी इसे इंग्‍लैंड के साथ होने वाले अपने सबसे पुराने मुकाबले ‘एशेज’ से भी बड़ी मान रहे हैं। जी हां, साइमन कैटिच हों या‍ एडम गिलक्रिस्‍ट हां या फिर और भी पहले के खिलाड़ी और श्रीलंका के पूर्व कोच डेव वॉटमोर, इन सबका यही कहना है। वहीं दुनिया के महानतम बल्‍लेबाजों में से एक सचिन तेंदुलकर इसे सांस थमा देने वाले भारत-पाकिस्‍तान के मुकाबले से बड़ा मानते हैं। अगर सचिन और गिलक्रिस्‍ट जैसे धुरंदर यह बात कहते हैं इस बात में दम होना लाजमी है।

भारत-ऑस्‍ट्रेलिया के बाच खेले गए मैचों पर नजर डालें तो यह बात साफ हो जाती है। 1996 में शुरू हुई बार्डर-गावस्‍कर ट्राफी अभी तक सात बार खेली गई है, जिसे भारत और ऑस्‍ट्रेलिया दोनों ने 3-3 बार जीता है। 2003-04 में यह सीरीज 1-1 से ड्रा रही थी। इसमें अभी तक कुल 22 मैच खेले गए हैं जिनमें से 10 बार आस्‍ट्रेलिया विजयी रहा है और 8 बार भारत ने जीत का स्‍वाद चखा है, ज‍बकि 4 मैच ड्रा रहे। ये आंकड़े दोनों देशों के बीच कड़ी प्रतिस्‍पर्द्धा की तस्‍वीर पेश करते हैं। सचिन-वार्न, द्रविड़-मॅक्‍ग्राथ, हरभजन-पोंटिंग, लक्ष्‍मण-गिलेस्‍पी, कुंबले-गिलक्रिस्‍ट के बीच संघर्ष को भला कौन भूल सकता है। इनमें से कई नाम इस बार नहीं हैं, लेकिन इस बार भी वहीं संघर्ष होने की उम्‍मीद है, भले ही इसमें पात्र बदल जाएं।
दोनो टीमों के बीच की जंग अब सिर्फ बल्‍ले और गेंद तक ही सिमट कर नहीं रह गई है। स्‍लेजिंग की जिस कला में ऑस्‍ट्रेलियाई महारथ रखते हैं, भारत उसमें भी उन्‍हें बराबरी की टक्‍कर दे रहा है। भारत लगातार ऑस्‍ट्रेलिया की सत्‍ता को चुनौती दे रहा है, उसके नजदीक पहुंच रहा है और इस बात से कंगारू भी वाकिफ हैं। दोनों देशों के खिलाडियों को भी यह अच्‍छी तरह पता है कि मुकाबला काफी अहम है। इसलिए खिलाड़ी इसमें अपनी पूरी ताकत झोंकने को तैयार रहते हैं। भारत जानता है कि विश्‍व चैंपियन को हराने का क्‍या मतलब होता है। वहीं ऑस्‍ट्रेलिया को भी पता है कि भारत को उसके घर में हराना सबसे मुश्किल काम है।

भारत-ऑस्‍ट्रेलिया सीरीज की चमक बढ़ने की वजहें हैं। ऐसा कोई एक दिन में नहीं हुआ है। पहले ऐशेज को दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित सीरीज होने का रुतबा हासिल था। लेकिन, पिछले दो दशक के दौरान ऑस्‍ट्रेलिया की मजबूत होती गई, तो इंग्‍लैंड पिछड़ता गया। लिहाजा, एशेज एकतरफा मुकाबला बनके रह गया और इसकी चमक फीकी पड़ गई। 2005 में 16 साल बाद इंग्‍लैंड ने ऑस्‍ट्रेलिया को हराकर थोड़ी उम्‍मीद जगाई थी, लेकिन यह जीत सिर्फ तुक्‍का ही साबित हुई। ऑस्‍ट्रेलिया ने अगली एशेज में इंग्‍लैंड को 5-0 से धो दिया। एक मौके को छोड़ दिया जाए तो पिछले दो दशक में एशेज एकतरफा शो ही रहा है।

कुछ सालों पहले तक भारत-पाकिस्‍तान के बीच मुकाबलों को क्रिकेट से ज्‍यादा एक जंग के तौर पर देखा था। इन दोनों देशों के मैच दुनिया में सबसे ज्‍यादा देखे जाते थे। इन मैचों में दोनों देशों के अप्रिय सियासी रिश्‍तों की बानगी देखने को मिलती थी। ऐसा लगता था कि मैच में हार-जीत नहीं, दोनों देशों की किस्‍मत दांव पर लगी है। सन् 1986 में शारजाह में हुए ऑस्‍ट्रेलेशिया कप के फाइनल में चेतन शर्मा द्वारा फेंकी गई मैच की आखिरी गेंद पर जावेद मियांदाद के छक्‍के ने इस तनाव भरे रोमांच को एक नया आयाम दे दिया। भारत उस हार से लंबे अर्से तक नहीं उबर पाया। लेकिन, वक्‍त के साथ दोनों देशों के सियासी रिश्‍तों और क्रिकेट मैच, दोनों के उबाल में कमी आ गई और क्रिकेट जंग के बजाए एक खेल में तब्‍दील होता नजर आने लगा। ऐसा नहीं है कि भारत-पाक मुकाबलों का रोमांच कम हो गया है, लेकिन इसमें भी कोई शक नहीं कि वह तनाव अब उस रूप में नहीं है।

भारत-ऑस्‍ट्रेलिया के बीच जबर्दस्‍त स्‍पर्द्धा को देखते हुए यह कहना बेमानी नहीं होगा कि एशेज का रुतबा और भारत-पाक मुकाबलों का तनाव, दोनों अब बार्डर-गावस्‍कर ट्रॉफी के साथ जुड़ गए हैं। यही वजह है कि दुनिया भर के क्रिकेटप्रेमियों की निगाहें इस सीरीज पर लगी हुई हैं।

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