Thursday, September 18, 2008

बल्‍लेबाजी की अहम कड़ी है नम्‍बर सात


टेस्‍ट क्रिकेट में नंबर सात का बल्‍लेबाज हमेशा से महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। रिचर्ड हेडली, इयान बॉथम, इमरान, कपिल, गिलक्रिस्‍ट और धोनी जैसे बल्‍लेबाजों ने इस नंबर पर बल्‍लेबाजी कर अपनी टीम को जीत दिलाई है, तो कई मौकों पर अपनी टीम को हारने से भी बचाया है। इसीलिए बल्‍लेबाजी में इस क्रम को काफी क्रिटिकल माना जाता है।


जनवरी 1937, ऑस्‍ट्रेलिया और इंग्‍लैंड एशेज के तीसरे टेस्‍ट में आमने-सामने। दूसरी पारी में महज 97 रन पर ऑस्‍ट्रेलिया की आधी टीम पविलियन लौट चुकी थी। इस वक्‍त बल्‍लेबाजी करने आते हैं सर डॉन ब्रेडमैन। दूसरे छोर पर फिंगलेटन बल्‍लेबाजी का मोर्चा संभाले खड़े हैं। इंग्‍लैंड को मैच में वापसी की सुगंध आने लगी है, मगर ब्रेडमैन ऐसे मौके पर 270 रनों की पारी खेलते हैं। जब फिंगलेटन के आउट होने के बाद यह साझेदारी टूटती है तो टीम का स्‍कोर 443 रन तक पहुंच चुका होता है। ऑस्‍ट्रेलिया 564 रनों का विशाल स्‍कोर बनाकर इंग्‍लैंड के लिए वापसी के सभी रास्‍ते बंद कर देता है। ऑस्‍ट्रेलिया मैच 365 रनों से जीत लेता है।
अगस्‍त 2007, लॉर्डस के मैदान पर भारत और इंग्‍लैंड आमने-सामने। पहली पारी में भारत 97 रनों से पिछड रहा भारत दूसरी पारी में भी 145 के स्‍कोर पर पांच विकेट खोकर भारत संकट में आ गया था। इस मौके पर धोनी आते हैं। वे पुछल्‍ले बल्‍लेबाजों के साथ मिलकर टीम के स्‍कोर को 282 तक ले जाते हैं और भारत को एक निश्चित सी लग रही हार के मुंहाने से वापस लाते हैं। अपनी 92 रनों की पारी के दौरान विकेट को मजबूती से थामे रहते हैं। इंग्‍लैंड और जीत के बीच वे चट्टान की तरह अड़े रहते हैं।
साल 2006, भारत और पाकिस्‍तान अपनी चिर परिचित प्रति‍द्वंदिता के बीच आमने सामने। पाकिस्‍तान के 588 रनों के जवाब में भारत तेंदुलकर का विकेट खोकर (281/5) संकट की स्थिति में। इन हालात में इरफान पठान नंबर 7 पर बल्‍लेबाजी करने आते हैं। इस स्थिति महेंद्र सिंह धोनी और इरफान पठान के बीच 210 की साझेदारी ने न सिर्फ टीम को फॉलोऑन से बचाया, बल्कि मैच ड्रॉ करवाने में भी अहम भूमिका निभाई।
भले ही इन उदाहरणों में करीब सत्‍तर सालों का लंबा अंतराल है, लेकिन एक बात तीनों में साझा है। और वो है नंबर सात के बल्‍लेबाजों की भूमिका, जिन्‍होंने विकेट पर टिक कर या तो अपनी टीम को जीत दिलाई या फिर हार को टालने में अहम भूमिका निभाई।
दरअसल, टेस्‍ट मैचों में किसी भी टीम के बैटिंग ऑर्डर नम्‍बर सात बहुत अहम होता है। अगर कहा जाए कि इस क्रम पर खेलने वाले बल्‍लेबाज अपनी टीम के संकटमोचक होते हैं, तो गलत नहीं होगा। यह वो बल्‍लेबाजी क्रम है, जहां खेलने वाले बल्‍लेबाज अक्‍सर दोहरी भूमिकाएं निभाते हैं। वर्तमान समय में टीमों के बल्‍लेबाजी क्रम को देखें तो ज्‍यादातर विकेटकीपर यह भूमिका निभा रहे हैं। भारत में महेंद्र सिंह धोनी, पाकिस्‍तान में कामरान अकमल, इंग्‍लेंड में मैट प्रायर, न्‍यूजीलैंड में ब्रेंडन मॅक्‍कुलम, दक्षिण अफ्रीका में मार्क बाउचर, इस नंबर पर बल्‍लेबाजी करने आते हैं और इसमें कोई शक नहीं कि ये सभी अपनी टीम की बल्‍लेबाजी के मजबूत स्‍तंभ हैं। गिलक्रिस्‍ट के संन्‍यास के बाद उनकी जगह ब्रैड हेडिन ने ली है, और इस बात की ज्‍यादा उम्‍मीद है कि वे भी नंबर सात पर ही बल्‍लेबाजी करेंगे। श्रीलंका में भी अब कुमार संगकारा कुछ दिनों से विशेषज्ञ बल्‍लेबाज की भूमिका में हैं और उनकी जगह विकेटकीपिंग का जिम्‍मा प्रसन्‍ना जयवर्द्धने निभा रहे हैं, जो नंबर सात पर बल्‍लेबाजी करने आते हैं। बांग्‍लादेश के विकेटकीपर मुशफिकुर रहमान, वेस्‍टइंडीज के विकेटकीपर दिनेश रामदीन भी इसी क्रम पर बल्‍लेबाजी करने आते हैं। जिम्‍बाब्‍वे के विकेटकीपर टेटेंडा तायबू भी पहले इसी क्रम पर काफी मैचों में बल्‍लेबाजी कर चुके हैं।
इस क्रम पर सर रिचर्ड हेडली, सर इयान बॉथम, कपिल देव और इमरान खान जैसे महान ऑलराउंडर भी बल्‍लेबाजी कर चुके हैं और यह बताने की जरूरत नहीं कि कई मौकों पर इन्‍होंने अपनी बल्‍लेबाजी मैच का रूख पलट दिया।
टेस्ट क्रिकेट में नम्‍बर नम्‍बर सात पर बल्‍लेबाजी करना हमेशा से ही काफी नाजुक और चुनौतीपूर्ण काम रहा है। इस नंबर पर खेलने तब बल्‍लेबाजी करने आते हैं, जब टीम का टॉप ऑर्डर पवेलियन जा चुका होता है और दूसरी नई गेंद या तो तुरंत ले ली गई हो ती है या फिर ली जाने वाली होती है। ऐसे में नंबर सात को निचले क्रम के बल्‍लेबाजों के साथ मिलकर टीम के स्‍कोर को आगे ले जाना होता है। चूंकि उसे ज्‍यादातर मौकों पर नई गेंद का सामना करना पड़ता है, तो उसे तकनीकी रूप से भी काफी दक्ष होना पड़ता है। कई बार ऐसा होता है कि टीम का ऊपरी क्रम लड़खड़ाने के बाद नम्‍बर सात के बल्‍लेबाज ने शानदार बल्‍लेबाजी कर अपनी टीम की नैया को पार लगाया। नम्‍बर तीन का बल्‍लेबाज जहां पारी को संवारने का काम करता है, वहीं नम्‍बर सात का काम अच्‍छे स्‍कोर को बड़े स्‍कोर में बदलना होता है या फिर टीम जब संकट में हो तो उसे उबारना होता है।
नम्‍बर सात के महत्‍व का अंदाजा भारत-श्रीलंका टेस्‍ट सीरीज से ही लगाया जा सकता है। टेस्‍ट मैचों में भारतीय बल्‍लेबाज मेंडिस के सामने लाचार नजर आए, लेकिन वनडे में टीम इंडिया के कप्‍तान धोनी के पास मेंडिस के हर तीर का जवाब था। इसकी वजह से मेंडिस अपना टेस्‍ट मैचों का रिकॉर्ड प्रदर्शन की सफलता को दोहरा पाने में असफल रहे। नतीजा, भारत ने यह सीरीज 3-2 से जीत ली। धोनी ने इसमें सबसे बड़ी भूमिका अदा की। हालांकि, धोनी वनडे में अमूमन 5 या 6 नंबर पर बल्‍लेबाजी करने आते हैं। लेकिन, टेस्‍ट में धोनी का बल्‍लेबाजी क्रम सात ही होता है। उनकी गैरमौजूदगी में कार्तिक और पार्थिव ने नंबर सात पर बल्‍लेबाजी की, लेकिन उनकी असफलता ने भारत की मुश्किलें बढ़ा दीं। अगर धोनी होते तो शायद प्रदर्शन कुछ बेहतर होता।
नम्‍बर सात एक ऐसा बल्‍लेबाजी क्रम है, मध्‍यक्रम और निचले क्रम के बीच की कड़ी होता है। अगर उसके साथ दूसरे छोर पर एक टॉप ऑर्डर का कोई बल्‍लेबाज होता है तो उसका काम टॉप ऑर्डर के बल्‍लेबाज का साथ देना होता है। वहीं अगर उसके साथ पुछल्‍ले बल्‍लेबाज खड़े हों, तो वह सपोर्टिंग के बदले लीड किरदार में आ जाता है। अगर कहा जाए कि नंबर सात किसी भी टीम का खेल बनाने और बिगाड़ने की क्षमता रखता है तो गलत नहीं होगा। यह बात कई मौकों पर साबित भी हुई है।

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